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परंपरा और सौगात का प्रतीक है यह मिठाई, गणगौर त्योहार में है विशेष महत्व, दुकानदार लाखों में करते हैं कमाई


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Jaipur Ghebar Sweets Demand Increased: राजस्थान में गणगौर के पर्व पर वर्षों से सिंजारे की परम्परा चली आ रही है. जिसमें शादी के बाद पहली बार वर और वधु के घर इस मिठाई को सौगात के रूप में भेजा जाता है. इस परम्परा …और पढ़ें

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जयपुर

जयपुर के बाजारों में गणगौर से पहले बाजारों में तैयार घेवर मिठाई. 

हाइलाइट्स

  • गणगौर पर घेवर की मांग बढ़ी.
  • घेवर की कीमत 300 से 2000 रु किलो तक.
  • घेवर की 10 से अधिक वैरायटी उपलब्ध.

जयपुर. राजधानी जयपुर में सभी त्यौहार को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. यहां हर त्यौहार के लिए एक स्पेशल मिठाई बनती है, जिसकी उस समय सबसे ज्यादा डिमांड रहती है. गणगौर का त्योहार नजदीक आ रहा है और बाजारों में गणगौर के लिए प्रसिद्ध घेवर मिठाई बाजारों में तैयार होना शुरू हो गई हैं. राजस्थान में घेवर मिठाई एक ऐसी अनोखी मिठाई है, जो राजा-महाराजाओं के समय से बनती आ रही है. जयपुर में वर्षों से घेवर मिठाई बनाने का काम करते आ रहे सत्यनारायण पितलिया बताते हैं गणगौर के त्यौहार तक दिन रात यह मिठाई बड़े पैमाने पर बनाते हैं.

तब जाकर इसकी आपूर्ति लोगों तक हो पाती हैं. वैसे तो घेवर राजस्थान की सबसे प्रसिद्ध मिठाइयों में से एक है, जिसकी डिमांड सालभर रहती है. इसलिए, गणगौर पर इस मिठाई की डिमांड और व्यापार सबसे अधिक होती है. लोग जयपुर से विदेशों में रहने वाले लोगों को गणगौर पर यह मिठाई भिजवाते हैं. पूरे जयपुर में इस मिठाई से दुकानों पर रौनक बनी रहती है और सभी मिठाईयों की दुकानों अच्छा व्यापार होता हैं.

सिंजारे पर होता है लाखों रूपए का व्यापार

सत्यनारायण पितलिया बताते हैं कि राजस्थान में गणगौर के पर्व पर वर्षों से सिंजारे की परम्परा चली आ रही है, जिसमें शादी के बाद पहली बार वर और वधु के घर इस मिठाई को सौगात के रूप में भेजा जाता है. इस परम्परा में घेवर का ही सबसे ज्यादा महत्व है, इसलिए गणगौर के आस-पास इसकी डिमांड शुरू हो जाती है, जो लगातार गणगौर तक रहती है. आपको बता दें किइस साल राजस्थान में गणगौर 31 मार्च को है, जिसके लिए जयपुर के बाजारों में घेवर मिठाई बनने का काम जोर-शोर से चल रहा है. सभी दुकानों पर गणगौर पर बड़े-बड़े ऑडर आते हैं, इसलिए सभी हलवाई घेवर को तैयार करने में लगे हुए हैं.

10 से अधिक वैरायटी की पड़ती है जरूरत

सत्यनारायण पितलिया बताते हैं कि वह हर साल गणगौर पर सबसे ज्यादा घेवर तैयार करते हैं, जिसमें एक ही मिठाई को डिमांड के हिसाब से अलग-अलग आकार और स्वाद के अनुसार तैयार करना होता है. इसलिए, सुबह से शाम तक हलवाई तैयार करने में लगे रहते हैं. घेवर मिठाई एक ऐसी अनोखी मिठाई है, जिसमें इसके साइज के हिसाब से अलग-अलग कीमत होती है. लेकिन स्वाद एक जैसा ही होता है और लोग इस मिठाई को अपने पंसद के हिसाब से खरीदते हैं, अभी गणगौर के सीजन में इस मिठाई की कीमत 300 रूपए से लेकर 2000 हजार रुपए किलो तक है. इस अनोखी मिठाई को अलग-अलग रूप में तैयार किया जाता है, जिसमें मिनी घेवर, मावा घेवर, पनीर घेवर, ड्राई फ्रूट्स घेवर और रबड़ी घेवर जैसी 10 से भी अधिक वैरायटी में तैयार होती हैं.

खास तरीके से तैयार होती है घेवर मिठाई

सत्यनारायण पितलिया बताते हैं कि उनका जीवन इस मिठाई को तैयार करने में ही बीता है. हर साल लाखों रूपए के घेवर तैयार करते हैं. घेवर मिठाई को सामान्य रूप से दूध और मैदा के घोल में घी डालकर बनाया जाता है. घोल को अच्छी तरह तैयार करने के बाद उसे घी या तेल में गरम कढ़ाई में तला जाता है और फिर चाशनी में डुबोकर इसे बाहर निकालर इस पर मावे, पनीर, रबड़ी की परत लगाई जाती है. एक घेवर बिल्कुल सामान्य भी होता है, जो बिना चाशनी के होता है असैर इसे फिका घेवर कहते हैं. लोग इसे भी खूब खरीदते हैं और फिर अपने घर पर ही इसमें चाशनी देते हैं. घेवर मिठाई देसी घी और तेल दोनों रूप में तैयार की जाती हैं, तेल और घी के अंतर से बस इसके स्वाद और कीमत में अंतर आ जाता हैं, इसलिए लोग अपने स्वाद और बजट के हिसाब से घेवर का ऑडर देते हैं.

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परंपरा और सौगात का प्रतीक है यह मिठाई, जयपुर में होता है लाखों का कारोबार


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-ghevar-sweet-is-a-symbol-of-tradition-and-gift-gangaur-festival-has-special-importance-made-in-many-varieties-local18-9126689.html

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