Chaitra Navratri 2025 : नवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है. सभी सनातन धर्म प्रेमी इसे बहुत धूमधाम से मनाते हैं. नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है नौ रातें. इन नौ रात यानी दस दिन में शक्ति यानि देवी की पूजा की जाती है. इस साल चैत्र नवरात्रि 30 मार्च दिन रविवार से शुरू हो रही है. जिसका समापन 6 अप्रैल को होगा.
गुप्त साधना के लिये उपयुक्त : इन नौ दिन देवी के अलग-अलग स्वरुप की पूजा की जाती है. ये नौ रुप अलग-अलग सिद्धियां देते हैं. इसमें माता के महागौरी लेकर से कालरात्रि जैसे नौ रुप हैं. ये नौ रुप माता के दस महाविद्या वाले रुपों से अलग हैं. देवी महापुराण में उन दस महाविद्याओं के बारे में बताया गया है.इस बार द्वितीया और तृतीया तिथि एक ही दिन यानी 31 मार्च को पड़ रही है. ज्योतिष शास्त्र में नवरात्र की तिथियों का घटना शुभ नहीं माना जाता है.अलग अलग इच्छाओं और मान्यताओं के लिये माता के अलग अलग स्वरुप की उनके दिन विशेष में पूजा करने से लाभ होता है. संतान प्राप्ति, कर्ज मुक्ति एवं तंत्र साधना के लिये नवरात्री का पर्व बहुत महत्व रखता है.गुप्त साधना, योगिनी, डाकिनी, पिशाचिनी को लोग प्रसन्न करते हैं.
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति. चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति.महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।
अर्थ – पहली माता शैलपुत्री, दूसरी माता ब्रह्मचारिणी, तीसरी माता चंद्रघंटा, चौथी माथा कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी माता कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री. ये मां दुर्गा के नौ रुप हैं. नवरात्रि के दौरान माता के इन स्वरुपों की पूजा होती है.
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इंसान की प्रकृति के आधार पर मां की पूजा : हमारी चेतना के अंदर तमोगुण, रजोगुण और सतोगुण – तीनों प्रकार के गुण व्याप्त हैं. प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते हैं. इन 9 दिनों में पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की आराधना करते हैं, अगले तीन दिन रजोगुणी और अंतिम तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना का महत्व है.
मां की आराधना : दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती, इन तीन रूपों में मां की आराधना करते हैं.
“या देवी सर्वभुतेषु चेतनेत्यभिधीयते” – “सभी जीव जंतुओं में चेतना के रूप में ही मां / देवी तुम स्थित हो”
नवरात्रि मां के विभिन्न रूपों को निहारने और उत्सव मनाने का त्यौहार है. जैसे कोई शिशु अपनी मां के गर्भ में 9 महीने रहता है, वैसे ही हमारा स्वयं में, परा प्रकृति में रहकर – ध्यान में मग्न होने का इन 9 दिनों का महत्व है। वहां से फिर बाहर निकलते हैं, तो सृजनात्मकता का प्रस्फुरण जीवन में होने लगता है.
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