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Delhi AIIMS Indigenous MRI Machine: भारत में अधिकतर मेडिकल इक्विपमेंट विदेशों से इंपोर्ट किए जाते हैं, जिसकी वजह से ट्रीटमेंट महंगा हो जाता है. अब देश ने अपनी पहली स्वदेशी एमआरआई मशीन डेवलप की है, जिसका ट्रायल …और पढ़ें

भारत ने पहली MRI मशीन डेवलप कर ली है. (Image Credit- PTI)
हाइलाइट्स
- भारत ने पहली स्वदेशी MRI मशीन डेवलप की है.
- अक्टूबर से दिल्ली एम्स में ट्रायल शुरू हो सकता है.
- इससे MRI की कीमत करीब आधी हो सकती है.
Delhi AIIMS MRI Machine News: भारत ने अपनी पहली स्वदेशी मैग्नटिक रेसोनेंस इमेजिंग (MRI) मशीन सिस्टम डेवलप कर लिया है. इस मशीन को जल्द ही ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) दिल्ली में लगाया जाएगा और अक्टूबर से इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो जाएगा. उम्मीद जताई जा रही है कि इस मशीन के आने से मरीजों के लिए MRI की कीमत करीब आधी हो सकती है. दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ. एम श्रीनिवास के अनुसार इस वक्त भारत में ज्यादातर हेल्थकेयर इक्विपमेंट और मशीनें विदेशों से इंपोर्ट की जाती हैं. इसके कारण एमआरआई के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ता है.
Mint की खबर के मुताबिक भारत में साल 2023-24 में करीब 68885 करोड़ रुपये की मेडिकल डिवाइस इंपोर्ट की गई थीं. करीब 70 फीसदी मेडिकल उपकरण विदेशों से इंपोर्ट किए जाते हैं, जिसके कारण इनका लागत काफी बढ़ जाती है. इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है और एमआरआई समेत कई तरह की इमेजिंग के लिए काफी खर्च करना पड़ता है. अगर देश की पहली स्वदेशी मशीन क्लीनिकल ह्यूमन ट्रायल में सफल हो जाती है, तो उम्मीद है कि एमआरआई के खर्च में काफी कटौती हो जाएगी और लोगों को फायदा मिल सकेगा.
अब सवाल है कि MRI मशीन का काम क्या होता है? नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्रिवेंटिव हेल्थ एंड वेलनेस डिपार्टमेंट की डायरेक्ट डॉ. सोनिया रावत ने Bharat.one को बताया कि एमआरआई (Magnetic Resonance Imaging) मशीन एक एडवांस मेडिकल डिवाइस है, जो शरीर के अंदर की संरचनाओं की क्लियर और हाई क्वालिटी वाली इमेज बनाने के लिए इस्तेमाल की जाती है. यह मशीन मजबूत मैग्नेटिक फील्ड और रेडियो वेव्स का उपयोग करती है. यह तकनीक बिना किसी रेडिएशन का उपयोग किए शरीर के विभिन्न अंगों और ऊतकों की तस्वीरें खींचने में सक्षम होती है. MRI मशीन के अंदर एक मजबूत मैग्नेट होता है, जो शरीर के इंटरनल ऑर्गन्स की कंप्यूटर द्वारा साफ इमेज बनाती है.
कब पड़ती है MRI करने की जरूरत? डॉक्टर के मुताबिक MRI का उपयोग तब किया जाता है, जब किसी मरीज के इंटरनल ऑर्गन या टिश्यूज की कंडीशन का सटीक आकलन करना होता है. जब कोई बीमारी, चोट या अन्य शारीरिक समस्याएं हों, तब MRI कराई जाती है. यह तकनीक विशेष रूप से ब्रेन, स्पाइन, जॉइंट, हार्ट और अन्य इंटरनल ऑर्गन्स के लिए महत्वपूर्ण होती है. MRI का उपयोग स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर, रीढ़ की हड्डी में चोट, आर्थराइटिस, ब्लड क्लॉटिंग, कैंसर के ट्यूमर और गर्भावस्था में जटिलताओं जैसी स्थितियों में किया जाता है. यह तकनीक बिना किसी सर्जरी के शरीर के अंदर की समस्याओं की पहचान करने में मदद करती है, जिससे डॉक्टरों को सही ट्रीटमेंट में मदद मिलती है.
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-india-develops-first-indigenous-mri-machine-clinical-trials-to-start-in-delhi-aiims-from-october-9129340.html