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चैत्र नवरात्र पर इस समय भूलकर भी न करें कलश स्थापना, वरना शुरू हो जाएंगे बुरे दिन


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ज्योतिषी अखिलेश पांडेय ने कहा कि चैत्र नवरात्रि का पर्व हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है और नवमी तिथि तक चलता है. यह समय मां दुर्गा की पूजा और उपासना के लिए बहुत ही शुभ माना जाता …और पढ़ें

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चैत्र नवरात्र पर इस समय भूलकर भी न करें कलश स्थापना

ऋषिकेश: चैत्र माह हिंदू कैलेंडर का पहला महीना है, जो विशेष रूप से मां दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित होता है. इस माह में चैत्र नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जो मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की उपासना का पर्व है. इस पर्व का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व बहुत अधिक है. नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से घट स्थापना की जाती है, जो सुख, समृद्धि और भाग्य में वृद्धि का प्रतीक मानी जाती है. लेकिन इस कलश स्थापना को लेकर कुछ विशेष सावधानियाँ भी रखी जाती हैं, जिन्हें अगर नजरअंदाज किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियां आ सकती हैं.

देवी दुर्गा के नौ रूपों की होती है पूजा

Bharat.one के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित गृह स्थानम के ज्योतिषी अखिलेश पांडेय ने कहा कि चैत्र नवरात्रि का पर्व हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है और नवमी तिथि तक चलता है. यह समय मां दुर्गा की पूजा और उपासना के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दौरान विशेष रूप से देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन विशेष रूप से घट स्थापना की जाती है, जो इस पूरे व्रत का आरंभ होता है. घटस्थापना का धार्मिक महत्व तो है ही, साथ ही ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी यह बहुत महत्वपूर्ण है.

घट स्थापना का महत्व

घट स्थापना का अर्थ होता है एक पवित्र कलश में जल भरकर, उसमें देवी लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी के चित्रों या मूर्तियों के साथ पूजा करना. इस दौरान श्रद्धालु कलश के चारों ओर आम या नीम के पत्ते रखकर, उसे सिंदूर, चंदन और फूलों से सजाते हैं. कलश का तात्पर्य शुद्धता और समृद्धि से है, और इसे देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है. इसका उद्देश्य साधक के जीवन में खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि लाना होता है. हालांकि, यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि कलश स्थापना के लिए सही समय का चुनाव करना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, कलश स्थापना करने का एक विशेष समय होता है जिसे “शुभ मुहूर्त” कहा जाता है. अगर इस समय में कलश स्थापना नहीं की जाती, तो व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं.

इस समय भूलकर भी न करें कलश स्थापना

सनातन शास्त्रों में उल्लेखित है कि कलश स्थापना का समय अमावस्या तिथि या रात के समय में नहीं होना चाहिए. अमावस्या तिथि को रात्रि के समय या दिन के असुरक्षित समय में कलश स्थापना करने से देवी दुर्गा अप्रसन्न होती हैं और साधक को जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. साथ ही, कलश स्थापना के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे कि पूजा स्थल को शुद्ध करना, पवित्रता बनाए रखना और देवी माँ के मंत्रों का जाप करना.

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चैत्र नवरात्र पर इस समय भूलकर भी न करें कलश स्थापना, वरना शुरू हो जाएंगे बुरे दिन

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