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नीम करोली बाबा के आश्रम जाने का कर रहें हैं प्लान? तो ये जानकारी आपकी यात्रा को बना देगी सुखद और यादगार


Neem Karoli Baba Ashram: उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम आश्रम एक पवित्र आध्यात्मिक स्थान है. यह महान संत नीम करोली बाबा को समर्पित है, जिनकी भक्ति, चमत्कार और प्रेम की कहानियां दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. हर साल हजारों श्रद्धालु यहां आकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. अगर आप भी यहां जाने का विचार कर रहे हैं, तो ये महत्वपूर्ण जानकारी आपकी यात्रा को और भी खास बना देगी. आइए जानते हैं इसके बारे में.

इतिहास और महत्व
नीम करोली बाबा, जिनका असली नाम लक्ष्मण दास था. उनका जन्म 1900 में उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी आध्यात्मिक यात्रा में बिताई. 1962 में उन्होंने कैंची धाम आश्रम की स्थापना की, जो अब एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है.

मंदिर और पूजा स्थल
आश्रम में कई पवित्र मंदिर हैं. मुख्य मंदिर संगमरमर और पत्थर से बना है, जिसमें नीम करोली बाबा की प्रतिमा स्थापित है. यहां श्रद्धालु भजन गाते हैं और ध्यान करते हैं. इसके अलावा, यहां हनुमान जी का मंदिर भी है.

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आश्रम की दिनचर्या
आश्रम में एक तय दैनिक दिनचर्या होती है. सुबह 5 बजे आरती के साथ दिन की शुरुआत होती है, उसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है. शाम को सत्संग और कीर्तन होते हैं. दिनभर सादा और शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा जाता है.

रहने की व्यवस्था
आश्रम में साधारण आवास सुविधा उपलब्ध है, जिसमें दो लोगों के लिए कमरे और साझा बाथरूम होते हैं. अधिक आरामदायक विकल्पों के लिए, आप आसपास के होटल चुन सकते हैं.

आश्रम कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग से: कैंची धाम के सबसे नजदीक पंतनगर हवाई अड्डा है. एयरपोर्ट से आप टैक्सी या लोकल बस के जरिए आश्रम तक पहुंच सकते हैं.

रेल मार्ग से: सबसे नजदीकी बड़ा रेलवे स्टेशन काठगोदाम है. यहां से आप टैक्सी या बस लेकर कैंची धाम जा सकते हैं.

सड़क मार्ग से: कैंची धाम सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. आप नैनीताल या आसपास के शहरों से बस या अपनी गाड़ी से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं.

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आने का सबसे अच्छा समय
मार्च से जून और सितंबर से नवंबर का समय यहां आने के लिए सबसे अच्छा है, क्योंकि तब मौसम सुहावना रहता है. जुलाई में बारिश और भीड़भाड़ के कारण यात्रा कठिन हो सकती है. दिसंबर से फरवरी के बीच तापमान शून्य से नीचे जा सकता है, जिससे यात्रा मुश्किल हो सकती है.

आश्रम में भोजन

  • यहां सात्त्विक शाकाहारी भोजन परोसा जाता है, जिसमें चावल, दाल, रोटी और सब्जी शामिल होती है.
  • नाश्ता: सुबह 8:00 से 9:00 बजे
  • दोपहर का भोजन: 12:30 से 1:30 बजे
  • रात का भोजन: 6:30 से 7:30 बजे
  • बीच-बीच में चाय भी मिलती है.

आश्रम के नियम और शिष्टाचार
शांत वातावरण बनाए रखें और मोबाइल फोन का कम से कम उपयोग करें. मंदिर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है. मांस, शराब और धूम्रपान सख्त वर्जित हैं.

हाल में शुरू हुई शटल सेवा
उत्तराखंड सरकार ने 26 मार्च 2025 से कैची धाम मंदिर जाने वाले भक्तों की बढ़ती संख्या और ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करने के लिए एक विशेष शटल सेवा शुरू की है. नई शटल सेवा के जरिए भक्तों को आसानी से मंदिर तक पहुंचने में मदद मिलेगी.

बनाए गए हैं खास पार्किंग ज़ोन
मंदिर के पास ट्रैफिक कम करने के लिए प्रशासन ने खास पार्किंग ज़ोन बनाए हैं, जहां लोग अपनी गाड़ियां खड़ी कर शटल सेवा से मंदिर तक जा सकते हैं.

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