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Navratri Kanya Pujan Tips : चैत्र नवरात्रि में एक से 10 साल की कन्याओं की पूजन का विधान है. हर उम्र की कन्या के पूजन का अलग-अलग फल मिलता है और उन्हें अलग-अलग स्वरूपों में पूजा जाता है.

कन्या पूजन कब करें
हाइलाइट्स
- अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करें.
- कन्या पूजन का शुभ समय सुबह 7:54 से 10:30 बजे तक है.
- कन्याओं को हलुआ, पूड़ी और दही का भोग लगाएं.
वाराणसी. शक्ति उपासना के महापर्व नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूप की पूजा की जाती है. सनातन धर्म में छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. इसलिए अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन का भी विधान है. कुछ लोग अष्टमी तिथि तो कुछ नवमी तिथि को कन्या पूजन करते हैं. ऐसे में लोगों के मन में थोड़ा कंफ्यूजन रहता है कि कन्या पूजन के लिए कौन का दिन अच्छा होता है. काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय कहते हैं कि चैत्र नवरात्रि में एक से 10 साल की कन्याओं के पूजन का विधान है. मान्यता है कि हर उम्र की कन्या पूजन का अलग-अलग फल मिलता है और उन्हें अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है. इसके लिए शास्त्रों में दो दिन बताए गए हैं.
इस दिन करें कन्या पूजन
कन्या पूजन के लिए नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. मान्यता है कि बिना कन्या पूजन नवरात्रि की पूजा अधूरी होती है. तिथियों में हेर फेर के कारण इस बार अष्टमी और नवमी तिथि एक दिन ही हैं. वैदिक पंचांग के अनुसार, छह अप्रैल को ही अष्टमी और नवमी तिथि का मान्य होगा. इस दिन ही कन्या पूजन किया जाएगा.
जानें पूजन का सही समय
कन्या पूजन के लिए सुबह 7 बजकर 54 मिनट से 10 बजकर 30 मिनट का समय काफी शुभ है. दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट के बीच भी आप कन्या पूजन कर सकतें है.
कन्या पूजन में देवी स्वरूप में कन्याओं का पूजन करना चाहिए और उन्हें भोग में हलुआ, पूड़ी और दही जरूर खिलाना चाहिए. विदाई के वक्त उन्हें दान में पैसे या कुछ उपहार देकर उनका आशीर्वाद भी लेना चाहिए. इससे देवी प्रसन्न होती है.