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Premanand Maharaj: संत प्रेमानंद महाराज जी महाराज राधा रानी के परम भक्त हैं. वह लोगों को कथा व सत्संग के माध्यम से मोक्ष का मार्ग बताते हैं. देश- विदेश में उनके प्रवचनों को पसंद किया जाता है.

प्रेमानंद जी महाराज ने बताया, इन लोगों को नहीं खाना चाहिए भंडारा, वरना बन जाएंगे पाप के भागी
हाइलाइट्स
- समर्थ लोगों को भंडारे का भोजन नहीं करना चाहिए.
- मुफ्त में भोजन करने से पुण्य क्षीण होते हैं.
- भंडारे का भोजन केवल जरूरतमंदों के लिए है.
Premanand Maharaj: हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों में भी भंडारे और लंगर जैसे आयोजन बड़े पैमाने पर होते हैं. इन आयोजनों का मुख्य उद्देश्य समाज के जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क भोजन करवाया जाता है. लेकिन अकसर हमने कई समर्थ्य लोगों को भंडारे का भोजन करने देखा है. लेकिन हाल ही में संत प्रेमानंद महाराज ने भंडारे में खाना खाने को लेकर अपने विचार व्यक्त किये हैं.
दरअसल, सोशल मीडिया पर महाराज जी का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक भक्त ने महाराज जी से सवाल करते हुए पूछा कि क्या तीर्थ स्थान पर होने वाले भंडारे या फिर रास्ते में कहीं कोई भंडारा चल रहा हो तो क्या हमें वहां भोजन करना चाहिये या नहीं?
भक्त के इस सवाल पर संत प्रेमानंद महाराज ने उत्तर देते हुए कहा कि, अगर आप गृहस्थ हैं और किसी आश्रम में जा रहे हैं तो वहां भोजन करने के बाद कुछ रुपया जरूर दे दें. उन्होंने कहा कि मुफ्त में भोजन कभी नहीं करना चाहिए.. मुफ्त में कोई सेवा नहीं लेनी चाहिए. महाराज जी ने कहा कि मुफ्त में कोई भी चीज नहीं खानी चाहिए, इससे आपके पुण्य क्षीण होते है.
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भंडारे और लंगर में केवल वही लोग भोजन ग्रहण करें, जो सचमुच आर्थिक रूप से कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. महाराजी ने आगे कहा कि, भंडारे में अकसर देखने को मिलता है कि लोग प्रसाद के नाम पर भोजन ग्रहण करने चले जाते हैं. जो लोग गरीब और साधु संत भी नहीं होते.. वे भी भंडारे में मिल रहा खाना खा लेते हैं. लेकिन ऐसा करना बिलकुल भी ठीक नहीं माना जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसा कई बार देखने को मिल जाता है कि लोग शिविर लगाकर गरीबों और साधु-संतों को भोजन कराते हैं. लेकिन यह अच्छा नहीं माना जाता है.
संत प्रेमानंद महाराज ने यह भी कहा कि, “जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं, उन्हें भंडारे में भोजन करने से बचना चाहिए. भंडारे का प्रसाद उन जरूरतमंदों के लिए है, जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं” प्रेमानंद महाराज ने कहा कि मुफ्त में कोई भी चीज नहीं खानी चाहिए, इससे पुण्य क्षीण होता है.