Last Updated:
Kamadgiri Mountain Chitrakoot : वनवास के दौरान प्रभु राम चित्रकूट आए तो उन्होंने इसी पर्वत पर निवास किया. उनके आने की सूचना मिलते ही इस पर्वत ने खुद को हरा-भरा कर लिया था, जो आज भी है.

फोटो
हाइलाइट्स
- कामदगिरि पर्वत रामायण काल से हरा-भरा रहता आया है.
- प्रभु श्री राम ने चित्रकूट में 11.5 वर्ष बिताए.
- कामदगिरि पर्वत के दर्शन से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
चित्रकूट. ये पर्वत अपने आप में अनोखा और चमत्कारी है. चाहे भीषण गर्मी हो या कड़कड़ाती ठंड, इस पर्वत के पेड़-पौधे सदैव हरे-भरे रहते हैं. जब दूसरे पहाड़ों पर पत्ते मुरझा जाते हैं, चित्रकूट में स्थित कामदगिरि पर्वत पर हरियाली की चादर बिछी रहती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब प्रभु श्री राम अपने वनवास के दौरान माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट आए थे, तब उन्होंने कामदगिरि पर्वत पर ही निवास किया. कहा जाता है कि उनके आगमन से पहले ही इस पर्वत ने अपने आप को हरा-भरा कर लिया था. वनवास के 11.5 वर्ष उन्होंने यहीं बिताए और फिर दंडक वन की ओर प्रस्थान कर गए.
दिव्य शक्तियों से युक्त
आज भी इस पर्वत के श्री राम की शक्तियां मौजूद हैं. कहा जाता है कि इस पर्वत के दर्शन मात्र से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. प्रभु श्री राम की सुरक्षा और सेवा के लिए अयोध्या से 108 गंगाएं और 52 देवियां चित्रकूट आई थीं. जब भगवान राम ने चित्रकूट छोड़ने का निर्णय लिया, तब उन्होंने इन शक्तियों को कामदगिरि पर्वत में वास करने का आशीर्वाद दिया, तभी से ये पर्वत दिव्य शक्तियों से युक्त माना जाता है.
दर्शन से सभी कष्ट दूर
तोता मुखी हनुमान मंदिर के पुजारी मोहित दास ने बताया कि कामदगिरि पर्वत अचल तीर्थ है. भगवान राम ने यहां 11.5 साल बिताए और साधना की. माता जानकी की रक्षा के लिए जो देवियां और गंगाएं आई थीं, वे प्रभु राम के आदेश पर यहीं रह गईं. तब से ये पर्वत दिव्य शक्तियों का केंद्र बना हुआ है. भक्तगण मानते हैं कि कामदगिरि पर्वत के दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. यहां हर वर्ष हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और इस पवित्र पर्वत की परिक्रमा करते हैं.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/news/lifestyle/travel-a-miraculous-kamadgiri-mountain-of-chitrakoot-remains-green-throughout-the-year-local18-9149925.html