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Mata Sheetla Temple in Azamgarh : ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. यहां मौजूद माता शीतला को स्वास्थ्य की देवी माना जाता है, जिनको हलवा-पूड़ी चढ़ाने से बिगड़े काम बन जाते हैं.

शीतला माता मंदिर निजामाबाद आजमगढ़
हाइलाइट्स
- आजमगढ़ का शीतला माता मंदिर स्वास्थ्य की देवी का शक्तिपीठ है.
- नवरात्रि में मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.
- हलवा पूड़ी का प्रसाद चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
आजमगढ़. Navratri 2025 का पावन महीना चल रहा है. भक्त माता रानी का पूजा पाठ करने दूर-दराज के मंदिरों में भी उमड़ रहे हैं. आजमगढ़ में शीतला माता का एक ऐसा पवित्र स्थान है, जहां दर्शन पूजन करने से भक्तों को स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिलता हैं. यहां उपस्थित माता के शक्तिपीठ को स्वास्थ्य की देवी के नाम से जाना जाता है. आजमगढ़ का ये मंदिर बेहद पुराना और ऐतिहासिक है, जो पौराणिक रूप से भी विशेष महत्त्व रखता है. शहर मुख्यालय से करीब 15 किमी की दूरी पर निजामाबाद में स्थित ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. यही कारण है कि यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इकट्ठा होती है.
मान्यताओं के अनुसार, माता शीतला को स्वास्थ्य की देवी माना जाता है. यहां पूजा पाठ करने और हलवा पूड़ी का प्रसाद चढ़ाने से मांगी गई सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ज्यादातर भक्त अपने अच्छे स्वास्थ्य की कामना लेकर यहां आते हैं. नवरात्रि के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. यहां सिर्फ आजमगढ़ ही नहीं आसपास और दूर दराज के क्षेत्र से भी भक्त अपने बेहतर स्वास्थ्य की कामना लेकर आते हैं.
रोचक है कहानी
मान्यताओं के अनुसार, माता शीतला को मां गौरी का अवतार माना जाता है. वे भगवान ब्रह्मा के पुत्र राजा दक्ष की पुत्री थीं. उनका विवाह भगवान शिव से हुआ था. माना जाता है कि राजा दक्ष अपनी पुत्री के विवाह से प्रसन्न नहीं थे, यही कारणा था कि उन्होंने अपने यहां होने वाले यज्ञ में सभी को बुलाया लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया. ये अपमान माता शीतला से सहा नहीं गया. भगवान शिव के अपमान से क्रोधित होकर माता शीतला यज्ञ के स्थान पर पहुंचीं और अग्नि कुंड में कूद कर अपने जीवन का त्याग कर दिया. जब भगवान शिव को इस घटना की जानकारी हुई तो वो यज्ञ स्थान पर पहुंचकर माता शीतला के मृत शरीर को अपने हाथों में उठाकर पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाने लगे.
खंडों में बंटा शरीर
भोलेनाथ की ऐसी दशा देखकर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता शीतला के शरीर को खंड-खंड में विभाजित कर दिया. उनके शरीर का हिस्सा धरती के 51 जगहों पर गिरा जहां पर आज 51 शक्तिपीठ विराजमान हैं. इनमें से दो शक्तिपीठ, पल्हनेश्वरी माता का पल्हना देवी मंदिर और निजामाबाद में शीतला माता का मंदिर आजमगढ़ में है.
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