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स्लो लीविंग: सुबह की शुरुआत को आरामदायक और स्वस्थ बनाएं.


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कहते हैं अच्छी शुरुआत से अंत हमेशा अच्छा होता है. सुबह के समय इसी बात पर गौर करना बेहद जरूरी है. अगर आप सुबह उठते ही दौड़-भाग में लग जाते हैं तो यह सेहत के साथ खिलवाड़ है. स्लो लीविंग के गुर हर किसी को सीखने चा…और पढ़ें

जिंदगी बदलनी है तो धीमी करें सुबह की शुरुआत, जानिए क्या है स्लो लीविंग

स्लो लीविंग से सोच सकारात्मक बनती है (Image-Canva)

Start your day with slow living: क्या आपकी सुबह की शुरुआत अलार्म बजकर होती है? उठते ही आप मोबाइल पर मेसेज और ई-मेल चेक करते हैं? वॉशरूम में भी मोबाइल लेकर जाते हैं? ऑफिस जाने से पहले भागा-दौड़ी में नाश्ता करते हैं? अगर आपकी सुबह का रूटीन ऐसा है तो सावधान हो जाएं. सुबह जिंदगी का सबसे जरूरी हिस्सा है. अगर यह अच्छी रहती है तो पूरा दिन अच्छा बीतता है. इसके लिए हर किसी को स्लो लीविंग को समझना चाहिए.  

स्लो लीविंग को समझें
क्या आपने Slow living के बारे में सुना है. इसका मतलब है S: sustainable, L: local, O: organic, W: whole . चीन, कोरिया समेत दुनिया के कई देशों के लोग स्लो लीविंग को अपना रहे हैं. इस लाइफस्टाइल में दिन की शुरुआत धीमी गति से होती है. इसमें लोग जमीन से जुड़ा रहना पसंद करते हैं. विदेशों में ऐसी जिंदगी छोटे शहरों में ज्यादा पसंद की जा रही है. भारत में भी अब कई बिजनेसमैन गांव में पलायन करके इस जीवनशैली को अपना रहे हैं. स्लो लीविंग एक माइंडफुल और हेल्दी रूटीन है. 

आरामदायक बनाएं सुबह
मनोचिकित्सक मुस्कान यादव कहती हैं कि हर रोज बिना अलार्म की मदद के उठें. उठने का समय एक ही रखें. इससे आपकी बॉडी क्लॉक एडजस्ट हो जाएगी और आप हर रोज सुबह एक समय पर ही उठेंगे. कोशिश करें कि सुबह 4 या 5 बजे तक उठ जाएं. इस समय हर काम आराम से करें. सुबह अच्छा-सा म्यूजिक सुनें, मेडिटेशन करें, किताब पढ़े या गार्डनिंग करें. इससे आपका मन शांत रहेगा. दिन की प्लानिंग सुबह की बजाय रात को ही कर लें. इससे सुबह आपके पास अपने लिए पूरा समय होगा.

तनाव दूर रहता है
आजकल हर कोई अपनी जिंदगी में तेज रफ्तार से चल रहा है. इसके पीछे का मकसद ज्यादा पैसा कमाना और अपने लक्ष्य तक कम से कम समय में पहुंचना है. इस भागदौड़ ने जिंदगी को टेक्नोलॉजी में कैद कर लिया है. अब लोगों की दिन की शुरुआत मोबाइल से होती है और अंत भी इसी से होता है. लोगों ने अपने परिवार और समाज के साथ बैठना बंद कर दिया है. जिससे उनकी मेंटल हेल्थ बिगड़ने लगी है. वह डिप्रेशन, अकेलेपन और एंग्जाइटी का शिकार होने लगे हैं. स्लो लीविंग इंसान को जिंदगी का सही मतलब बताती है. इसमें लोगों से बात करना, उन्हें समय देना शामिल है. जिससे तनाव दूर रहता है. इससे व्यक्ति इमोशनल स्टेबल बनता है.

सेहत को वक्त मिलता है
सुबह उठते ही सबसे पहले भगवान को धन्यवाद करना चाहिए कि उन्होंने आपको यह अच्छी जिंदगी दी है. लेकिन लोग सुबह उठते ही वॉट्सऐप चेक करने लगते हैं. इस समय सेहत को वक्त दें. उठने के साथ पानी पीएं. धूप में बैठें. पेड़-पौधों को निहारे और नेचर से कनेक्ट होने की कोशिश करें. नंगे पैर घास पर चलें. जो व्यक्ति प्रकृति से करीब रहते हैं, बीमारियां उनसे कोसों दूर रहती हैं. ऐसे लोगों की उम्र भी लंबी होती है. रोज सुबह वॉक और एक्सरसाइज भी करें.

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जिंदगी बदलनी है तो धीमी करें सुबह की शुरुआत, जानिए क्या है स्लो लीविंग


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-how-to-start-a-day-with-slow-morning-what-is-the-importance-of-slow-living-how-it-is-beneficial-for-health-9156437.html

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