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ऋषि कश्यप की पत्नियों अदिति और दिति से देवता और दानवों का जन्म.


क्या आपको मालूम है कि देवता और दानव कैसे पैदा हुए. दोनों ही मूलतौर पर एक ऋषि की संतान हैं. ये ऋषि थे कश्यप, जिनके एक दो नहीं बल्कि 13 पत्नियां थीं और सभी बहनें भी थीं. तो ये कहानी काफी रोचक है कि कैसे उनके देवता भी पैदा हुए और दानव भी.

भारतीय पौराणिक कथाओं में ऋषि कश्यप बहुत अहम ऋषि थे. उन्हें इस इस सृष्टि के विस्तारक के तौर पर जाना जाता है. उन्हीं की दो पत्नियों के जरिए सबसे पहले देवता और दानव पैदा हुए, जो बाद में और बढ़ते गए. ये दोनों उनकी अलग पत्नियों दिति और अदिति से पैदा हुए.

ऋषि कश्यप की 13 पत्नियां क्यों थीं. वो सभी बहन क्यों थीं. आखिर ऐसा कैसे हुआ कि उन्होंने पहली बार देवता भी पैदा किए और दानव भी. ये कथा विष्णु पुराण, भागवत पुराण, और महाभारत जैसे ग्रंथों में कही भी गई है. हम यहां बताएंगे कि एक ही ऋषि की दो पत्नियों से कैसे देवता भी हुए और दानव भी.

कश्यप और उनकी पत्नियां
ऋषि कश्यप ब्रह्मा के पुत्र मरीचि के बेटे थे. उन्हें दुनिया में सृष्टि को आगे बढ़ाने का जिम्मा मिला. विष्णु पुराण (1.15) के अनुसार, कश्यप ने दक्ष प्रजापति की 13 बेटियों से शादी की. जिनमें दिति और अदिति सबसे खास थीं. सुंदर और प्रतिभाशाली. सवाल उठ सकता है कि दक्ष ने अपनी 13 बेटियों की शादी एक ही शख्स से क्यों की और वो एक ऋषि से.

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ऋषि कश्यप की दो प्रिय पत्नियां थीं दिति और अदिति. एक शांत और बहुत धार्मिक थी तो दूसरी एकदम उलट (Bharat.one AI)

दक्ष ने अपनी बेटियों को कश्यप को इसलिए सौंपा ताकि वे सृष्टि में कई तरह की प्रजातियों और प्राणियों को जन्म दें. दिति और अदिति, दोनों ही कश्यप की सबसे प्रिय पत्नियां बन गईं. लेकिन दोनों में भारी अंतर था.

अदिति और दिति में क्या था अंतर 
अदिति बहुत शांत, धार्मिक और सत्य की प्रतीक थीं. वहीं दिति में बहुत अधिक उग्रता तो थी ही, वह महत्वाकांक्षा और जिद्दी भी थी. इन दोनों के गर्भ से उत्पन्न संतानों ने ही देवता और दानवों के रूप में अपनी पहचान बनाई. यह कथा भागवत पुराण (6.6) और विष्णु पुराण (1.15-17) में विस्तार से मिलती है.

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अदिति और ऋषि कश्यप के मिलन से देवताओं का जन्म हुआ. जिसमें भगवान विष्णु भी थे. ( Bharat.one AI)

अदिति ने दिया देवताओं का जन्म
विष्णु पुराण (1.15.128-130) के अनुसार, अदिति ने कश्यप से संतान की इच्छा व्यक्त की. कश्यप मान गए. उन्होंने संन्यासपूर्ण जीवन के नियमों का पालन करते हुए संतान पैदा करने के लिए आदिति के साथ संबंध स्थापित किए. ये काम वैदिक विधि और पवित्रता के साथ किया गया. कश्यप ने अदिति को अपना वीर्य दिया, जिससे उनके गर्भ में 12 देवता पैदा हुए. इन्हीं में विष्णु भी थे और सूर्य, जल, अग्नि और धर्म के देवता भी. कश्यप ने अदिति के साथ संतान पैदा करने के सुनिश्चित किया कि उनकी संतानें सृष्टि के लिए अच्छे काम करें. ऐसा ही हुआ भी.

दिति से दानवों का जन्म
दिति की कहानी कुछ अलग थी. भागवत पुराण (3.14) और विष्णु पुराण (1.17) के अनुसार, दिति भी कश्यप से संतान चाहती थी. लेकिन उसकी इच्छा में जलन और प्रतिस्पर्धा थी. वह अदिति की संतानों की शक्ति और प्रतिष्ठा से जलने लगी थी. ये चाहती थी कि उसकी संतानें और ताकतवर हों.

दिति कहां मानने वाली थी
दिति ने जब कश्यप से संतान की बात की तो कश्यप ने उससे कहा ऐसा कुछ समय बाद करना चाहिए. लेकिन दिति कहां मानने वाली थी, उसमें कोई धैर्य नहीं था. उसने कश्यप को असमय यौन संबंध के लिए उकसाया. वैदिक मान्यताओं के अनुसार दोनों में जब संबंध बने तो समय किसी तरह सही नहीं था. हालांकि कश्यप ने दिति को चेतावनी दे दी कि इसका परिणाम सही नहीं होगा.

दो दानव पुत्र पैदा हुए
दिति के दो पुत्र पैदा हुए – हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष. ये दोनों ही दानवों के रूप में जाने गए, जो अपनी ताकत और गुस्से के लिए कुख्यात थे. दिति की संतानों में अहंकार और विनाशकारी प्रवृत्ति थी, जो उनकी मां की अधीरता और महत्वाकांक्षा का परिणाम थी.

तो आदिति और दिति से दो अलग तरह की संतानें पैदा हुईं. उन्होंंने सृष्टि में दो विरोधी ताकतों को पैदा किया यानि देवता और दानव. इन दोनों के बीच हमेशा संघर्ष रहा.

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