Monday, September 22, 2025
25.9 C
Surat

जौनपुर जिसका भगवान परशुराम से है संबंध…जहां आज भी आते हैं श्रद्धालु…जानिए क्या है पूरी कहानी


Last Updated:

जौनपुर न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत समृद्ध है. भगवान परशुराम के पिता महर्षि यमदग्नि और माता रेणुका का आश्रम जौनपुर की सदर तहसील के जमैथा गांव में स्थित थ…और पढ़ें

X

भगवान

भगवान परशुराम की जन्मस्थली 

हाइलाइट्स

  • जौनपुर भगवान परशुराम की जन्मस्थली मानी जाती है!
  • जमैथा गांव में परशुराम के माता-पिता का आश्रम था!
  • आज भी श्रद्धालु जमैथा में पूजा-अर्चना करते हैं!

जौनपुर: भारत की पवित्र भूमि अनेक ऋषि-मुनियों और अवतारों की कर्मभूमि रही है और इन्हीं में से एक नाम है भगवान परशुराम का, जिन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है, हालांकि उनके जन्मस्थान को लेकर अलग-अलग मत हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का जमैथा गांव उनकी जन्मस्थली मानी जाती है. यह गांव भगवान परशुराम के जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है. यहीं पर उनका पारिवारिक आश्रम था, यहीं उन्होंने तप किया और यहीं से जुड़ी कई अद्भुत कथाएं आज भी लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई हैं. चलिए जानते हैं उनके बारे में

आपको बता दें, पुराणों में वर्णित है कि भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था, जो इस साल 18 अप्रैल को पड़ी. इस दिन को उनके जन्मोत्सव के रूप में पूरे देश में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है. उनके पिता महर्षि यमदग्नि और माता रेणुका का आश्रम जौनपुर की सदर तहसील के जमैथा गांव में स्थित था, जिसे तब यमदग्निपुरम् कहा जाता था. वहीं, समय के साथ यह स्थान ‘जौनपुर’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया. बता दें, भगवान परशुराम की जीवनगाथा केवल शक्ति या क्रोध की नहीं, बल्कि समर्पण, भक्ति और न्याय की मिसाल है.

माता के वध के लिए जब पिता ने दिया आदेश
इनके बारे में एक घटना विशेष रूप से उल्लेखनीय है. दरअसल जब उनके पिता ने परशुराम को आदेश दिया, कि वे अपनी माता रेणुका का वध करें. पिता की आज्ञा को सर्वोपरि मानते हुए उन्होंने यह कार्य किया, किन्तु वरदान में मां को पुनर्जीवित करवा लिया. यह कथा दर्शाती है कि वे मातृ-पितृ भक्ति में अद्वितीय थे और उन्हें ‘मातृ-पितृ ऋण से मुक्त’ व्यक्ति माना जाता है.आपको बता दें, जमैथा स्थित आश्रम आज भी एक श्रद्धास्थल के रूप में पूजित है. वहीं पास में देवी अखड़ो (पूर्व नाम अखण्डो) का मंदिर भी है, जिसे माता रेणुका का ही रूप माना जाता है. श्रद्धालु यहां आज भी पूजा-अर्चना कर भगवान परशुराम और उनके परिवार का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं


यमदग्नि ऋषि को जब कष्ट सहना पड़ा

इतिहास के अनुसार, जब जौनपुर पर असुर प्रवृत्ति वाला राजा कीर्तिवीर राज करता था, तब यमदग्नि ऋषि को उससे बहुत कष्ट सहना पड़ा. वे तमसा नदी के किनारे भृगु ऋषि से मिले और उनकी सलाह पर अयोध्या गए. वहां से उन्होंने राम और लक्ष्मण को साथ लाकर कीर्तिवीर का अंत करवाया. कहा जाता है कि गोमती नदी के किनारे जहां राम और लक्ष्मण ने स्नान कर आत्मशुद्धि संस्कार किया, वह स्थान आज ‘रामघाट’ के नाम से प्रसिद्ध है.

भगवान परशुराम के व्यक्तित्व में शस्त्र और शास्त्र दोनों का अद्भुत संतुलन था. यदि वे केवल विनाश के प्रतीक होते, तो वे भगवान राम को शिवधनुष भेंट नहीं करते. उन्होंने अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना में अपना योगदान दिया. इस तरह जौनपुर न केवल ऐतिहासिक रूप से, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी बहुत समृद्ध है. भगवान परशुराम की स्मृतियों से जुड़ा यह स्थान आज भी भारत की आध्यात्मिक चेतना का जीवंत प्रतीक बना हुआ है

homedharm

जौनपुर जिसका भगवान परशुराम से है संबंध…जानिए क्या है इस शहर से जुड़ी कहानी

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

Hot this week

Topics

Sharadiya Navratra special importance of Maharatri Nisha Puja

Last Updated:September 22, 2025, 21:39 ISTMaharatri Nisha Puja...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img