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Durgadhar Mandir: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के बोरा ग्राम स्थित दुर्गाधार मंदिर में मां दुर्गा आपदा से पहले ग्रामीणों को सचेत करती हैं. यहां अगस्त सितंबर में भव्य पूजा और जग्गी होती है.
दुर्गाधार मंदिर से जुड़ी है कथा
मंदिर के सेवादार सुरेंद्र सिंह नेगी ने जानकारी दी कि प्राचीन समय में एक गाय अपने मालिक के घर दूध न देकर वह इस जगह पर एक पेड़ के नीचे दूध डालती थी. मालिक ने देखा क्या मामला है. वह गौ माता का पीछा करता इस जगह पर पहुँचा तो वह हक्का- बक्का रह गया. उसने गांववासियों के साथ मिलकर खुदाई की तो वे थक गए, लेकिन पत्थर इतना विशाल था कि उसका अंत नहीं मिल पा रहा था. वहां अचानक आकाशवाणी हुई और उस जगह पर दुर्गा मां का मंदिर बनाने का आदेश दिया गया. यहां मंदिर बनवाया गया दुर्गाधार मंदिर कहा जाता है.
मां भगवती के पूजन में परिक्रमा करने पहुँचता है बाघ
ग्रामीणों के अनुसार, जब दुर्गाधार मंदिर मां भगवती की भव्य पूजा होती है, उस समय बाघ माता के दरबार में आता है, परिक्रमा करता है और फिर चला जाता है. आक्रामक बाघ भी यहां पर बहुत शांत हो जाता है. दुर्गाधार मंदिर में मायकोटी गाँव और बैंजी के पंडित ही यहां पूजन कर सकते हैं. यहां अगस्त और सितंबर महीने में मां भगवती भव्य पूजन किया जाता है, जो जग्गी कहलाता है.