7 Mysterious Temples Were Not Built By Humans: भारत विविधताओं का देश है. यहां के लोग विभिन्न भाषाएं बोलते हैं. विभिन्न प्रकार का खाना खाते हैं और अलग-अलग त्योहार मनाते हैं. भक्ति भाव से मंदिर जाकर पूजा-अर्चना भी करते हैं. देश में कई ऐसे मंदिर हैं जो बहुत पुराने पर रहस्यों से भरे हैं. घर के बड़े-बुजुर्ग द्वारा सुनाई गई इनकी कथाएं हैरान करती हैं. इन्हीं को जानने के लिए लोग दूर-दराज मंदिर जाकर उनका दीदार करते हैं. मंदिरों की बनावट, इतिहास और रहस्यों को देखकर लोग अचरज में पड़ जाते हैं. इन मंदिरों को देखकर लोग यही सवाल करत हैं कि, आखिर इनको बनवाया किसके है या फिर कुदरती हैं. तो चलिए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में और उनसे जुड़े रहस्य-
देश के रहस्यमयी मंदिर, जानिए इनके बारे में
ज्वालामुखी मंदिर: आदिशक्ति का एक स्वरूप ज्वाला देवी को समर्पित ज्वालामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश में कालीधार पहाड़ी पर स्थित है. यह मंदिर बहुत ही पुराना है. माना जाता है कि यहां माता सती की जीभ गिरी थी, जिसके प्रतीक के रूप में यहां धरती के गर्भ से लपलपाती ज्वालाएं निकलती हैं, जो नौ रंग की होती हैं. ये ज्वाला कहां और कैसे निकलती है, यह नौ रंगों में कसे बदलती है, इसका रहस्य खोजने के अनेक प्रयास हुए हैं, लेकिन यह आज भी अनसुलझा है. बता दें, इन नौ रंगों की ज्वालाओं को देवी शक्ति का नौ रूप-महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विन्ध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजी देवी माना जाता है.
केवड़िया गुफा मंदिर: भारत में स्थित केवड़िया गुफा मंदिर कई हजार साल पुराना प्राचीन मंदिर है, जो चट्टानों के बीच बना हुआ है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में किसी मानव का हस्तक्षेप नहीं बल्कि खुद प्रकृति का अद्भुत चमत्कार छिपा हुआ है. मंदिर के रहस्यमयी आकार और गुफाओं की संरचना को देखकर लगता है कि किसी प्राचीन शक्ति ने इसे बनाया है.
लिंगराज मंदिर (भुवनेश्वर, ओडिशा): लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर, ओडिशा में स्थित है. यह किसने बनवाया, यह किसी को भी पता नहीं है. यह मंदिर भी रहस्यों से भरा है. इस मंदिर के कई सवाल आजतक पहेली बने हुए हैं. मान्यता है कि, इस मंदिर के ऊपर से कोई भी विमान या पक्षी नहीं उड़ते हैं. ऐसा क्यों होता है, इसकी भी कोई स्पष्ट वैज्ञानिक व्याख्या नहीं है. कहा जाता है कि, यह मंदिर एक साथ वैष्णव और शैव दोनों परंपराओं का संगम दर्शाता है.
कैलाश मंदिर, एलोरा (महाराष्ट्र): कैलाश मंदिर खुद जितना रहस्यमयी है उतनी ही रहस्यमयी इसे बनाने की कला भी है. यह एक फेमस रॉक-कट मंदिर है. जो एलोरा की गुफाओं में स्थित और भगवान शिव को समर्पित है. इस मंदिर में किसी भी तरह की ईंट या चूने का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इतना ही नहीं माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में 18 साल लगाकर किया गया. जबकि पुरातत्वविज्ञानियो की मानें तो 4लाख टन पत्थर काटकर इतने कम समय में इस मंदिर का निर्माण मनुष्यों द्वारा तो संभव ही नहीं है.
अमरनाथ गुफा: भगवान शिव को समर्पित अमरनाथ गुफा में हिमालय की बर्फ से बना प्राकृतिक शिवलिंग होता है. इस शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यह शिवलिंग पूरी तरह से प्राकृतिक प्रक्रिया से बनता है और इसे किसी इंसान ने नहीं बनाया है.
शोर मंदिर (महाबलीपुरम, तमिलनाडु): महाबलीपुरम, तमिलनाडु में स्थित शोर मंदिर को देखने के लिए दूर-दराज से पहुंचते हैं. यह मंदिर रहस्यों से भरा है. यह मंदिर समुद्र के किनारे बना है और माना जाता है कि पहले यहां सात मंदिर थे, लेकिन छह मंदिर समुद्र में समा गए थे. बता दें कि, 2004 की सुनामी के बाद समुद्र ने कुछ पुरानी संरचनाएं उजागर कीं, जिससे इस कहानी को बल मिला. यह आज भी रहस्यमयी बना है.
मुंडेश्वरी मंदिर, बिहार: मां मुंडेश्वरी मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड में स्थित है. मंदिर में स्थापित भैंसे पर सवार माता मुंडेश्वरी की प्रतिमा बहुत ही जीवंत लगती है. प्राचीन मंदिर को लेकर मान्यता है, कि मां मुंडेश्वरी रक्त विहीन बलि स्वीकार करती हैं. जिसके अनुसार, मंदिर का पुजारी मां मुंडेश्वरी के चरणों से चावल स्पर्श करवाकर बकरे पर छिड़क देता है, जिससे वह बेहोश हो जाता है. इसके बाद जब दोबारा मां मुंडेश्वरी से चरणों से स्पर्श कराकर बकरे पर चावल छिड़के जाते हैं, तो बकरा फिर से होश में आ जाता है. मुंडेश्वरी मंदिर का निर्माण किसने करवाया, इसके बारे में अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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