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उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित चोपता को ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहा जाता है. हरे-भरे बुग्याल, बर्फ से ढकी चोटियां, स्वच्छ वातावरण और शांतिपूर्ण माहौल इसे प्रकृति प्रेमियों, फोटोग्राफरों और एडवेंचर के शौकीनों के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं. देखें तस्वीरें। (फोटो साभार – अदिति खुराना, सागर देवराड़ी).

चोपता रुद्रप्रयाग जिले में स्थित उत्तराखंड का प्रमुख पर्यटक स्थल है, चोपता को यूं ही ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ नहीं कहा जाता है, यहां की वादियां हर मौसम में एक अलग ही जादू बिखेरती हैं. हरे-भरे घास के मैदान, फूलों से ढकी ढलानें और हिमालय की ऊंची चोटियां इस जगह को स्वर्ग जैसा रूप देती हैं. शांति, सौंदर्य और प्राकृतिक ऊर्जा से भरपूर यह जगह उन सभी लोगों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं, जो भागदौड़ भरी जिंदगी से थोड़ी राहत चाहते हैं.

चोपता से करीब 3.5 किमी की ट्रेकिंग के बाद पहुंचने वाला तुंगनाथ मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है. 3680 मीटर की ऊंचाई पर बसा यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां का मार्ग भी बेहद मनोरम है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया था. पंच केदारों में से एक यह मंदिर श्रद्धालुओं को अध्यात्म की अनुभूति कराता है. यहां तक पहुंचना एक रोमांचक यात्रा है, जो आपकी आत्मा को शुद्ध कर देती है.

तुंगनाथ मंदिर से आगे लगभग 1.5 किमी की खड़ी चढ़ाई चंद्रशिला ट्रेक कहलाती है. यहां से सूर्योदय का नज़ारा देखना किसी चमत्कार से कम नहीं. मान्यता है कि भगवान राम ने रावण वध के बाद यहीं तपस्या की थी. यहां से केदारनाथ, चौखंबा, नंदादेवी सहित कई हिमालयी चोटियों के दर्शन होते हैं. यह ट्रेक रोमांच और पौराणिकता का अद्भुत संगम है. ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए यह स्थान किसी जन्नत से कम नहीं, जहां हर कदम पर प्रकृति की खूबसूरती चौंका देती है.

चोपता की सुंदरता साल के हर मौसम में अलग-अलग रूप में देखने को मिलती है. गर्मियों में जहां हरियाली और फूलों से ढके रास्ते मन को मोह लेते हैं, वहीं सर्दियों में यह इलाका बर्फ की सफेद चादर से ढक जाता है. मॉनसून में हर तरफ हरियाली और बादलों के बीच पहाड़ किसी पेंटिंग जैसे लगते हैं. चाहे परिवार के साथ हों या दोस्तों के साथ, चोपता हर किसी के लिए कुछ खास लेकर आता है.

चोपता से कुछ दूरी पर स्थित कंचुला कोरक कस्तूरी मृग अभयारण्य एक शांत और प्राकृतिक स्थल है. यह 5 वर्ग किमी में फैला अभयारण्य उन लोगों के लिए आदर्श है जो वन्यजीवों और पक्षियों में रुचि रखते हैं. यहां दुर्लभ कस्तूरी मृगों के साथ-साथ कई हिमालयी प्रजातियां भी देखने को मिलती हैं. हरियाली और जैव विविधता से भरपूर यह स्थान प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफर्स के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है.

चोपता सिर्फ प्रकृति प्रेमियों के लिए नहीं, बल्कि एडवेंचर और ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए भी किसी जन्नत से कम नहीं है. तुंगनाथ और चंद्रशिला जैसे ट्रेक रूट्स, साथ ही आसपास की पहाड़ियों पर कैम्पिंग और स्टारगैज़िंग जैसे अनुभव इसे और खास बनाते हैं. वहीं तुंगनाथ मंदिर जैसे पवित्र स्थल यहां अध्यात्म की अनुभूति कराते हैं. एक ही जगह पर रोमांच और अध्यात्म का ये अनोखा संगम चोपता को उत्तराखंड के सबसे खास डेस्टिनेशंस में शामिल करता है.

अगर आप ऐसी जगह की तलाश में हैं जहां सुकून भी हो, प्रकृति भी और रोमांच भी, तो चोपता आपकी बकेट लिस्ट में होना चाहिए. यह भीड़भाड़ से दूर, शांत वातावरण और शुद्ध हवा वाला इलाका है, जहां मोबाइल नेटवर्क कम पर मानसिक शांति भरपूर मिलती है. यहां का लोकल भोजन, पहाड़ी लोग और उनका अपनापन, आपको हमेशा के लिए इस जगह से जोड़ देगा. चोपता सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक अनुभव है, जो यहां आने वाले लोगों के लिए एक याद बनकर रहता है.
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