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Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष 2025 भाद्रपद पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है. इस दौरान तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर पूर्वजों का स्मरण किया जाता है.
क्या होता है पितृदोष
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब हमारे पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होती, तो ये आत्माएं पृथ्वी लोक में रहने वाले अपने वंश के लोगों को कष्ट देती हैं. इसी को ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष कहा गया है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मृत्यु लोक पर हमारे पूर्वजों की आत्माएं अपने परिवार के सदस्यों को देखती रहती हैं. जो लोग अपने पूर्वजों का अनादर करते हैं. इसलिए पितृ पक्ष के दौरान बहुत से रूप मे पितृ घर पर आते है. इसलिए भूल से भी उनका अपमान नही करना चाहिए.
– सनातन धर्म में दान-पुण्य का बड़ा ही अधिक महत्व है. बहुत बार देखा जाता है. पितृ पक्ष के दौरान कई बार पितर साधु, संत, या भिक्षुक के रूप में प्रकट होते हैं. इस दौरान साधुओं, संतों या गरीबों को भोजन और दान देना पितरों को प्रसन्न करने का एक तरीका माना जाता है. भूल से भी इनका अनादर नहीं करना चाहिए.
– हिन्दू धर्म गाय को गौ माता का दर्जा दिया गया है. श्राद्ध पक्ष में गाय या कुत्ते का भी द्वार पर आना बहुत शुभ माना जाता है. अगर ये रास्ते में भी दिख जाए, तो इन्हें भगाना या दुत्कारना नहीं चाहिए. बल्कि, इनको कुछ न कुछ खाने को जरूर देना चाहिए. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं.
– मेहमान को अतिथि भव कहा जाता है, लेकिन बहुत बार देखा जाता है कि कोई अतिथि या मेहमान हमारे घर आ जाता है, तो हम परेशान हो जाते हैं और यह सोचने लग जाते हैं कि यह कब जाएंगे. पितृ पक्ष के दौरान पितर कभी-कभी घर के मेहमान के रूप में भी आ सकते हैं. इनका सम्मान करना चाहिए और उन्हें तिरस्कार नहीं करना चाहिए.
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें
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