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मानसी गंगा मंदिर के पुजारी कैलाश शर्मा ने Bharat.one से कहा कि कृष्ण और उनके मामा कंस का आपस में बैर था. कंस का एक राक्षस बछड़े का रूप लेकर गोवर्धन आ गया. गांव में आतंक मचाने लगा भगवान कृष्ण को सब पता था. उन्होंने…और पढ़ें
मानसी गंगा गोवर्धन में स्थित एक पवित्र और अत्यंत श्रद्धेय सरोवर है. जिसे भगवान श्रीकृष्ण की मानसिक शक्ति से उत्पन्न माना जाता है. यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की लीला के बाद जब गोपियों ने उनसे गंगा स्नान करने का आग्रह किया. अपने “मन” से इस सरोवर की रचना की. इसी कारण इसे “मानसी गंगा कहा जाता है. एक अन्य कथा के अनुसार, जब नंद बाबा, यशोदा मैया और अन्य ब्रजवासी चार धाम यात्रा की तैयारी कर रहे थे.
उन्होंने मानसी गंगा को प्रकट कर यह दिखाया कि तीर्थ यात्रा का पुण्य तो श्रीधाम वृंदावन और गोवर्धन में ही प्राप्त हो सकता है. इसके अतिरिक्त, एक मान्यता यह भी है कि यमुना जी ने गंगा जी पर कृपा की कामना करते हुए श्रीकृष्ण से प्रार्थना की थी. तब श्रीकृष्ण ने गंगा जी को गोवर्धन में प्रकट किया और गोपियों के साथ इस पवित्र कुंड में जल विहार किया. मानसी गंगा न केवल एक तीर्थस्थल है, बल्कि यह श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और भक्तों की भक्ति भावना का जीवंत प्रतीक भी है. यहां श्रद्धालु स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं.
ऐसे प्रकट हुईं मानसी गंगा
मानसी गंगा मंदिर के पुजारी कैलाश शर्मा ने Bharat.one से कहा कि कृष्ण और उनके मामा कंस का आपस में बैर था. कंस का एक राक्षस बछड़े का रूप लेकर गोवर्धन आ गया. गांव में आतंक मचाने लगा भगवान कृष्ण को सब पता था. उन्होंने लीला करते हुए उसे राक्षस को पैर पड़कर जमीन में मार दिया. उसका वध कर दिया. कृष्ण के साथ बौछारण लीला कर रहे ग्वाल वालों ने जब उनसे कहा कि आपने गौ हत्या का पाप लिया है. हिंदू धर्म में गंगा और यमुना को श्रेष्ठ माना गया है. मैं अपने मन से गंगा को प्रकट करूंगा और यही स्नान करूंगा.