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अयोध्या: सनातन धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. खासकर जब यह शुभ मुहूर्त में किया जाए, तो इससे कई तरह के फल प्राप्त होते हैं. शास्त्रों में पूजा-पाठ से संबंधित कई नियम बताए गए हैं. यदि आप इन नियमों का पालन करते हैं, तो आपको विपरीत परिणाम देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती. तो चलिए जानते हैं…..

अक्सर आपने देखा होगा कि सनातन धर्म को मानने वाले लोगों के घरों में पूजा-पाठ बहुत विधि-विधान पूर्वक किया जाता है. धार्मिक शास्त्रों में भी बताया गया है कि पूजा-पाठ करने के लिए सबसे उत्तम समय प्रातःकाल माना जाता है. इस समय की गई पूजा सीधे ईश्वर तक पहुंचती है.

इतना ही नहीं, सुबह के दौरान पूजा-पाठ यदि आप करते हैं तो उस दौरान मुहूर्त का भी खास ख्याल रखना चाहिए. पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है, जो सुबह 4:30 से 5:00 बजे के बीच होता है.

ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करने से वातावरण में शांति बनी रहती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. सुबह के समय पूजा-पाठ करने से मन एकाग्र रहता है.

धार्मिक मान्यता के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में देवी-देवता और पितरों का आगमन होता है. इस दौरान पूजा-पाठ करने से घर में उन्नति होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है.

अगर आप ब्रह्म मुहूर्त में पूजा नहीं कर पाते हैं तो सुबह 9:00 बजे तक पूजा कर सकते हैं. लेकिन, दोपहर के समय पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मान्यता है कि इस दौरान देवी-देवता विश्राम करते हैं और की गई पूजा स्वीकार नहीं होती.

अगर आप शाम के समय पूजा-पाठ करते हैं तो इस बात का खास ख्याल रखें कि सूतक काल तो नहीं है. शास्त्रों के अनुसार, जब घर में किसी का जन्म या मृत्यु होती है, तो इस दौरान पूजा-पाठ करना वर्जित माना जाता है.

अगर आप शाम को आरती कर रहे हैं, तो उसके बाद रात के समय पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार, इस समय सभी देवी-देवता सो जाते हैं और इस दौरान किया गया पूजा-पाठ कोई फल नहीं देता.