Last Updated:
Rajasthan Bhilwara Tourist Place: मानसून के मौसम में अगर आप कुछ खास और अद्भुत प्रकृति के नजारे देखने का मन बना रहे हैं तो भीलवाड़ा जिले के आसींद क्षेत्र में स्थित मालासेरी डूंगरी आपके लिए एक शानदार ऑप्शन साबित हो सकता है, क्योंकि मानसून में इसकी खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ गई है और यहां पर लोगों का आने जाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है.

मानसून का सीजन शुरू हो गया है और बारिश की रिमझिम बूंदों के साथ धरती पर हरियाली की बहार आ गई है. ऐसे में अगर आप भी इस मौसम में घूमने का प्लान बना रहे हैं तो भीलवाड़ा जिले के मालासेरी में स्थित मालासेरी डूंगरी मंदिर सबसे बेहतरीन ऑप्शन साबित हो सकता है, क्योंकि इस मौसम में यहां हरियाली और भी ज्यादा बढ़ गई है.

मालासेरी डूंगरी एक ऐसा मंदिर है जो प्रकृति की गोद में समाया हुआ है. बारिश के दिनों में इसकी सुंदरता में और भी ज्यादा कर चांद लग जाते हैं और दूर से देखने पर यह है इतना खूबसूरत लगता है कि हर कोई हैरान हो जाता है. इसकी खूबसूरती देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

भगवान विष्णु के कई मंदिर देश-प्रदेश में देखें होंगे, लेकिन आज हम आपको भीलवाड़ा के मालासेरी डूंगरी में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे जो विष्णु भगवान के अवतार भगवान देवनारायण की जन्मस्थल है. यहां भगवान देवनारायण ने पहाड़ को चीरकर कमल के फूल में अवतार लिया था.

भीलवाड़ा जिले के आसींद तहसील के मालासेरी ग्राम पंचायत के पास स्थित मालासेरी डूंगरी पर भगवान श्री देवनारायण का अवतार हुआ था. भगवान देवनारायण के प्रति आस्था प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में फैली हुई है. इतना ही नहीं यहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपना शीश झुकाया था.

मालासेरी मंदिर के मुख्य पुजारी हेमराज पोसवाल के अनुसार, जब माता साडू की परीक्षा लेने भगवान विष्णु आए, तब उन्होंने आशीर्वाद दिया कि बगड़ावतों का युद्ध समाप्त होने पर माता मालासेरी डूंगरी जाकर तपस्या करें, जहां वे उनके पुत्र के रूप में अवतार लेंगे. माता ने प्रमाण मांगा, तो विष्णु ने कहा कि भादवी छठ को डूंगरी पर जाकर पत्थर चीरकर देखना, मेरा वाहन नीला घर घोड़ा प्रकट होगा. संवत 968 की भादवी छठ को ऐसा ही हुआ, जिससे माता को विश्वास हुआ और उन्होंने तपस्या शुरू की. इसके फलस्वरूप भगवान देवनारायण ने संवत 968 में माघ सुदी सप्तमी को अवतार लिया.

यह मंदिर गुर्जर समाज ही नहीं बल्कि सर्व समाज के लिए आस्था का केंद्र है और यहां पर प्रदेश ही नहीं देश भर से श्रद्धाल यहां आते हैं. कईं श्रद्धालु तो पैदल ही यहां सैंकड़ों किलोमीटर चलकर पहुंचते हैं और भगवान देवनारायण का आशीर्वाद लेकर यहां से जाते हैं.

पुजारी देवकरण पोसवाल ने बताया कि भगवान श्री देवनारायण का संवत 968 में माघ सुदी सप्तमी तारीख शनिवार को सुबह 4 बजे मालासेरी डूंगरी पर कमल के पुष्प में प्रकट हुए थे. यहां पर डूंगरी के अन्दर जो पत्थर है वह दुनियां में कहीं पर नहीं पाया जाता है. इसके साथ ही एक नीम का पेड़ ऐसा भी है जिसका एक पत्ता कड़वा तो एक मिठ्ठा लगता है.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/photogallery/lifestyle/travel-malaseri-dungri-temple-bhilwara-devnarayan-birthplace-monsoon-travel-faith-history-local18-9420195.html