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आजकल लोगों के बीच घूमने का ट्रेंड बढ़ा है लेकिन इसके पीछे की वजह है सोशल मीडिया. अधिकतर लोग शोऑफ करने के लिए ट्रैवलिंग करते हैं लेकिन अगर आपको वाकई घूमने का मजा लेना है तो माइंडफुल ट्रैवलिंग शुरू कर दें.

माइंडफुल ट्रैवल क्या है
जिस तरह हम हर काम बहुत सोच-समझकर करते हैं, ठीक उसी तरह घूमने का प्लान भी बहुत सोच-समझकर करना चाहिए. यात्रा ऐसी हो जो दिमाग को शांति दे और रिफ्रेश महसूस कराए. माइंडफुल ट्रैवल करने के लिए आपको ज्यादा पैसों की जरूरत नहीं है. इसमें ऐसी जगहें शामिल हैं जो भीड़भाड़ से हटकर शांत हो, ऑफबीट हों, जहां आप अपने साथ वक्त बिता सकें. खुद को समझ सकें और अपने आप से कनेक्शन बना सकें. माइंडफुल ट्रैवल में फोटो खींचने की बजाय अनुभव लेने पर ध्यान दिया जाता है.
माइंडफुल ट्रैवल की अच्छी बात यह है कि आप अपने शहर के आसपास लोकल जगहों पर घूम सकते हैं. छोटे शहरों या गांव में छुट्टी बिता सकते हैं. आप जितना लोकल लोगों से बात करेंगे, वहां की प्रकृति और संस्कृति को करीब से देखेंगे, आपका दुनिया को देखने और जिंदगी जीने का नजरिया बदल जाएगा. आपको कम चीजों में भी खुश रहने का एहसास होगा.

माइंडफुल ट्रैवल से इंसान अपने मन की बातों को सुनना सीखता है (Image-Canva)
स्लो ट्रैवल और डिजिटल डिटॉक्स जरूरी
घूमने का मजा तभी आता है जब आप उस जगह पर रुककर उसकी वाइब्स को फील करते हैं. यह तभी मुमकिन है जब आप टूरिस्ट नहीं बल्कि ट्रैवलर बनकर घूमें. उस जगह की सड़कों पर पैदल घूमें. लोकल मार्केट जाएं, लोकल खाना खाएं, उस जगह पूरा दिन बिताएं. कहीं दूसरी जगह जाने की भागदौड़ ना हो. माइंडफुल ट्रैवल में फोन बिल्कुल गायब होना चाहिए. डिजिटल डिटॉक्स से बेवजह का तनाव दूर होता है और आप घूमने का असली मतलब समझ पाते हैं. इस तरह घूमने से दिमाग में नए आइडिया आते हैं और आप क्रिएटिव बनते हैं.
माइंडफुल ट्रैवल से यात्री जिम्मेदार बनता है और इससे रेस्पॉन्सिबल टूरिज्म को बढ़ावा मिलता है. इसका मतलब यह है कि ऐसे ट्रैवलर उस जगह को कभी गंदा नहीं करते. कूड़ा नहीं फैलाते, ऐतिहासिक जगहों की दीवारों पर निशान नहीं बनाते, प्रकृति की कद्र करते हैं, अगर कोई दूसरा इंसान गंदगी फैलाता है तो उसे रोकते हैं ताकि बाकी सैलानी उस जगह की खूबसूरती को देख सकें. ऐसे यात्री पर्यावरण और संस्कृति का सम्मान करते हैं.
दुखों से मिलती है मुक्ति
हर इंसान किसी ना किसी स्ट्रेस में जी रहा है. वहीं कुछ लोग निगेटिविटी से इतने घिर जाते हैं कि दुखी रहने लगते हैं. माइंडफुल ट्रैवल उन्हें हर तरह के दर्द और पीड़ा से दूर कर देता है. इसलिए अगर किसी की मेंटल हेल्थ अच्छी नहीं होती, डॉक्टर उन्हें घूमने की ही सलाह देते हैं. इस तरह की ट्रैवलिंग में प्रकृति के करीब जाना जरूरी है. पहाड़ों, नदियों या समुद्र के सामने मेडिटेशन करें. वहां नेचर पर ध्यान दें. पहाड़ों को देखें, नदियों, झरने या समुद्र की लहरों की आवाज को शांति से सुनें. पक्षियों के चहचहाने को एंजॉय करें. इससे बहुत सुकून मिलेगा और आपका हर दुख-दर्द दूर होने लगेगा.
Active in journalism since 2012. Done BJMC from Delhi University and MJMC from Jamia Millia Islamia. Expertise in lifestyle, entertainment and travel. Started career with All India Radio. Also worked with IGNOU…और पढ़ें
Active in journalism since 2012. Done BJMC from Delhi University and MJMC from Jamia Millia Islamia. Expertise in lifestyle, entertainment and travel. Started career with All India Radio. Also worked with IGNOU… और पढ़ें
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