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anant chaturdashi 2025 special thread anant sutra bandhne ki vidhi mantra importance | अनंत चतुर्दशी पर बांधते हैं 14 गांठों वाला अनंत सूत्र, जानें विधि, मुहूर्त, मंत्र, महत्व


अनंत चतुर्दशी का पावन पर्व 6 सितंबर दिन शनिवार को है. अनंत चतुर्दशी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा होती है. पूजा के बाद दाहिने हाथ की कलाई में 14 गांठों वाला अनंत सूत्र बांधा जाता है. इस बार अनंत चतुर्दशी पर रवि योग बन रहा है. अनंत चतुर्दशी का मुहूर्त 19 घंटे 39 मिनट का है. आइए जानते हैं कि अनंत चतुर्दशी पर 14 गांठों वाला अनंत सूत्र बांधने की विधि, मुहूर्त, मंत्र और महत्व के बारे में.

अनंत चतुर्दशी मुहूर्त

भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी का प्रारंभ: 6 सितंबर, तड़के 3:12 बजे से
भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी का समापन: 7 सितंबर, मध्य रा​त्रि 1:41 एएम
रवि योग: सुबह 06:02 बजे से रात 10:55 बजे तक
अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त: सुबह 6:02 बजे से मध्य रात्रि 1:41 एएम तक

14 गांठों वाला अनंत सूत्र

अनंत सूत्र पवित्र कच्चे धागे या रक्षा सूत्र से बनाया जाता है. इस अनंत सूत्र में 14 गांठें लगाते हैं, जो भगवान विष्णु के 14 लोकों और अनंत स्वरूप का प्रतीक माने जाते हैं. इस अनंत सूत्र को हल्दी, केसर और कुमकुम से रंगते हैं और पूजा में रखते हैं.

मान्यताओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु ने 14 लोकों की रचना की थी और उसकी रक्षा के लिए 14 स्वरूप धारण किए थे.

अनंत सूत्र बांधने की विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन सबसे पहले भगवान अनंत और माता लक्ष्मी की पूजा करें. उसके बाद आरती उतारें. फिर पूजा में उपयोग किया गया अनंत सूत्र परिवार के सदस्यों की कलाई में बांधें. उस समय अनंत सूत्र बांधने का मंत्र भी पढ़ें. य​ह अनंत सूत्र परिवार का एक सुरक्षा कवच भी माना जाता है.

अनंत सूत्र बांधने का मंत्र

अनंतसूतं धारयामि अनंतस्य महात्मनः।
अनन्तव्रतधारणेन मम सर्वार्थसिद्धयर्थम्॥

अनंत चतुर्दशी का महत्व

जो व्यक्ति अनंत चतुर्दशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु के 14 स्वरूपों की पूजा करता है और अनंत सूत्र बांधता है, उसे 14 लोकों का सुख प्राप्त होता है. उसके कष्ट मिटते हैं और अनंत सूत्र से उसकी रक्षा होती है. भगवान अनंत की कृपा से व्यक्ति को धन, धान्य, सुख, समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को भी अनंत भगवान की पूजा और व्रत का सुझाव दिया था, जिसकी वजह से पांडवों को महाभारत युद्ध में विजय प्राप्त हुई थी.

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