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Whisky Aging: व्हिस्की को लकड़ी के बैरल में क्यों रखा जाता है? क्या एजिंग से बढ़ता है स्वाद और कीमत, जानें सबकुछ


Whisky Aging: कोई भी व्हिस्की आपके सामने आने से पहले कई चरणों से गुजरती है. उसको स्वादिष्ट बनाने कई तत्व शामिल होते हैं. हर बेहतरीन व्हिस्की की शुरुआत एक अनोखे मैश बिल (अनाज का मिश्रण) से होती है. अनाज को फर्मेंट करके व्हिस्की बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है और चीनी को अल्कोहल में बदल दिया जाता है. गेहूं से लेकर मक्का, जौ और माल्ट तक हर व्हिस्की का अपना एक विशिष्ट मिश्रण होता है. अनाज विशिष्ट स्थानों से प्राप्त होते हैं जो मिश्रण को अपना स्वाद प्रदान करते हैं.

इसके अलावा फर्मेंटेशन और डिस्टिलेशन प्रक्रियाएं भी हैं जो शराब में अल्कोहल की मात्रा बढ़ाती हैं. यहां एक डिस्टिलर का कौशल, शराब के डिस्टिलेशन से एक अच्छा प्रोडक्ट बनाने की उनकी क्षमता में प्रदर्शित होता है. स्पिरिट को पुराना करना एक कला है, चाहे वह टकीला हो, आयरिश व्हिस्की हो, या बॉर्बन हो. बेशक व्हिस्की में अभी भी बहुत कुछ मिलाया जाना बाकी है. खास तौर पर एक आखिरी चरण जिससे लगभग हर व्हिस्की गुजरती है, वो है उम्र बढ़ना. व्हिस्की की उम्र ही मायने नहीं रखती, बल्कि व्हिस्की की उम्र बढ़ने का तरीका भी उसकी गुणवत्ता और स्वाद को प्रभावित करता है. व्हिस्की बनाने की प्रक्रिया में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया एक जटिल हिस्सा है जो एक समृद्ध और अच्छी स्पिरिट के लिए बेहद जरूरी है.

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क्यों रखते हैं लकड़ी के बैरल में
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि व्हिस्की को लकड़ी खासतौर से ओक के बैरल में क्यों रखा जाता है? यह एक ऐसा सवाल है जो हर व्हिस्की प्रेमी जानना चाहता है. क्या यह स्वाद के लिए है? उम्र बढ़ने के लिए? या परंपरा के लिए? यह जरूरी है कि व्हिस्की को लकड़ी में रखा जाए, धातु में नहीं. जब आप अल्कोहल को धातु में रखते हैं तो वह स्वाद की विशेषताएं प्रदान नहीं करती. लकड़ी के बैरल में रखी व्हिस्की का स्वाद और सुगंध ज्यादा होती है. साथ ही इसकी कीमत भी ज्यादा होती है. आयरिश व्हिस्की को अपनी खास गाढ़ी और तैलीय बनावट उम्र बढ़ने की पूरी प्रक्रिया के दौरान अल्कोहल और लकड़ी के बीच होने वाले जटिल इंटरेक्शन से मिलती है. यह अपने आप में एक कला है.

स्वाद बढ़ाने के लिए तरल पदार्थों को लकड़ी के बैरल में रखने की प्रथा सदियों पुरानी है.
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बैरल में रखने की प्रथा सदियों पुरानी
स्वाद बढ़ाने के लिए तरल पदार्थों को लकड़ी के बैरल में रखने की प्रथा सदियों पुरानी है. इस पद्धति की शुरुआत वाइन उद्योग में हुई थी, लेकिन 1800 के दशक में स्कॉच डिस्टिलर्स ने इसे अपना लिया. इसने आधुनिक व्हिस्की उद्योग का मार्ग प्रशस्त किया, जो अलग-अलग कीमतों पर अलग-अलग समय के लिए रखी गई व्हिस्की उपलब्ध कराता है. बीयर और टकीला सहित अन्य मादक पेय भी इन बैरल के उपयोग से लाभ उठाते रहे हैं. व्हिस्की से वेनिला, टॉफी और ओक जैसे स्वादिष्ट रसायनों को हटाने के बजाय लकड़ी उन्हें सोख लेती है.

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व्हिस्की के बैरल एजिंग के फायदे
व्हिस्की का एक बैरल जितना ज्यादा समय तहखाने में पड़ा रहेगा, उसके बाहर आने पर उसकी कीमत उतनी ही ज्यादा होगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि बैरल जितना ज्यादा पुराना होगा, व्हिस्की का स्वाद उतना ही बेहतर होगा. इसलिए ज्यादा कीमत उच्च गुणवत्ता का संकेत है. और ऐसा इसलिए भी है क्योंकि ओक बैरल में रखी व्हिस्की इस प्रक्रिया से बेहतर स्वाद प्राप्त करती है. व्हिस्की को कानूनी तौर पर तभी लेबल किया जा सकता है जब उसे ओक बैरल में कम से कम तीन साल तक रखा गया हो ज्यादातर मामलों में, सिंगल माल्ट को बैरल में कम से कम दस साल तक रखा गया होगा. चूंकि व्हिस्की का बैरल ही उसके स्वाद और रंग का मुख्य स्रोत होता है, इसलिए इसमें कोई कोताही नहीं बरती जानी चाहिए.

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क्या होता है एंजेल शेयर
समय के साथ व्हिस्की की कुछ अल्कोहल और पानी की मात्रा बैरल से वाष्पित हो जाएगी. सीधे शब्दों में कहें तो यही वह हिस्सा है जो एंजिल्स को जाता है. वाष्पीकरण के कारण व्हिस्की हर साल अपनी अल्कोहल मात्रा का 0.2% से 0.6% तक खो देती है. क्योंकि पानी की तुलना में अल्कोहल कहीं अधिक अस्थिर और हल्का होता है. इस वाष्पीकरण से ऑक्सीजन बैरल में प्रवेश करती है जिससे रासायनिक प्रतिक्रियाएं शुरू होती हैं. जिनसे कई तरह के नए रसायन बनते हैं जो व्हिस्की की खुशबू को समृद्ध करते हैं और इसे सुंदर ढंग से परिपक्व होने देते हैं. स्वाद के मॉलिक्यूल ऑक्सीजन के साथ क्रिया करते समय लगातार ऑक्सीकरण से गुजरते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कपांउड में ऑक्सीजन का समावेश होता है और नई सुगंधों और स्वादों का विकास होता है.

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कब शुरू हुआ लकड़ी के बैरल का चलन
लकड़ी के बैरल के फायदे और नुकसान पर चर्चा करने से पहले उनसे परिचित होना जरूरी है. रोमन काल में शराब आमतौर पर मिट्टी के बर्तनों में रखी जाती थी. सैन्य अभियानों के दौरान रोमन सेनाएं अपने साथ शराब ले जाती थीं. मिट्टी के बर्तनों में रखने पर शराब नाज़ुक होने के कारण बर्बाद हो जाती थी. तभी रोमनों ने ओक के बैरल में शराब रखने का चलन शुरू किया. ओक के बैरल में शराब रखने के बाद उन्होंने शराब के स्वाद में अंतर देखा. एक बड़ी सफलता तब मिली जब पता चला कि बैरल में परिपक्व होने वाली शराब का स्वाद बेहतर हो जाता है. ओक जल्द ही शराब के भंडारण और उसे पुराना करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बैरल का मानक बन गया. यह पाया गया कि ओक बैरल में रखी गयी वाइन में वैनिलीन जैसे स्वाद घुल जाते हैं. नतीजतन, वाइन का स्वाद बेहतर हो जाता है. कुछ ही समय बाद व्हिस्की को लकड़ी के बैरल में पुराना किया जाने लगा जिससे पेय का स्वाद काफी बेहतर हो गया.

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क्यों अच्छे हैं इस्तेमालशुदा लकड़ी के बैरल
ओक बैरल, खासकर वे जो पहले इस्तेमाल किए जा चुके हैं, व्हिस्की को पुराना करने के लिए आदर्श होते हैं. लकड़ी के बैरल को पुराना करने की प्रक्रिया में बार-बार इस्तेमाल किया जाता है. इसका एक कारण यह भी है कि ये कई फायदे प्रदान करते हैं. एक बिल्कुल नए हार्डवुड बैरल की कीमत काफी ज्यादा होती है. एक नए बैरल की कीमत 1,000 डॉलर या उससे ज्यादा हो सकती है. यही कारण है कि खासकर माइक्रोब्रुअरीज में पहले से इस्तेमाल किए गए हार्डवुड बैरल का इस्तेमाल करने का चलन बढ़ रहा है. डिस्टिलरी एक सेकंडहैंड बैरल खरीदकर और उसे कई बार इस्तेमाल करके काफी पैसे बचा सकती हैं.

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शराब को खराब होने से बचाता है बैरल
बैरल में रखी शराब खराब होने से सुरक्षित रहती है. यह शराब को खासकर रोशनी से खराब होने से बचाती है. रोशनी के संपर्क में आने पर शराब अपना स्वाद और गुणवत्ता खो देती है. जब तापमान बढ़ता है तो यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. विशेषकर गर्मियों में. लकड़ी के बैरल का उपयोग यह सुनिश्चित करता है कि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के दौरान अंदर रखी शराब में कोई व्यवधान न आए.


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https://hindi.news18.com/news/knowledge/why-whiskey-stored-in-wooden-barrels-does-aging-enhances-taste-and-price-ws-kl-9588934.html

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