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Anant Chaturdashi 2025: अनंत पूजा 6 सितंबर, शनिवार को मनाई जाएगी. यह 6 सितंबर को दोपहर 3:12 बजे से शुरू होकर 7 सितंबर को दोपहर 1:41 बजे समाप्त होगी. पांडवों ने इस भगवान की पूजा कर हस्तिनापुर का राज्य पुनः प्राप…और पढ़ें
इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और अनंत डोरा धारण करते हैं. मान्यता है कि अनंत डोरा धारण करने से भक्तों की रक्षा होती है. यह डोरा हल्दी में भिगोकर बनाया जाता है और इस पर श्रीनारायण लिखे होते हैं. महिलाएं इसे बाएं हाथ में और पुरुष दाएं हाथ में बांधते हैं. गुमला शहर के पालकोट रोड पर स्थित रौनियर भवन में भगवान विष्णु का मंदिर है, जहां आप अनंत चतुर्दशी की पूजा कर सकते हैं.
आचार्य हरि शंकर मिश्रा ने Bharat.one को बताया कि अनंत, भगवान विष्णु का एक नाम है. उनकी ‘असीम’ और ‘अनादि-अनंत’ रूप को दर्शाता है. इस रूप की पूजा अनंत चतुर्दशी के दिन की जाती है. इस वर्ष अनंत पूजा 6 सितंबर, शनिवार को मनाई जाएगी. यह 6 सितंबर को दोपहर 3:12 बजे से शुरू होकर 7 सितंबर को दोपहर 1:41 बजे समाप्त होगी.
मान्यता है कि महाभारत काल में युधिष्ठिर आदि पांडव वनवास के बाद भीष्म पितामह से पूछा कि यह दुर्दिन कैसे समाप्त हो सकता है. तब भीष्म पितामह ने उन्हें अनंत व्रत के बारे में बताया था. उन्होंने कौंडिन्य ऋषि की कथा सुनाते हुए कहा कि कौंडिण्य मुनि की पत्नी शीला अनंत व्रत करती थीं. 14 गांठ से बना रेशम का डोर अपने बाहों में बांधती थीं, जिससे उन्हें सुख-समृद्धि प्राप्त हुई. कौंडिण्य ऋषि ने शीला के हाथ में बंधा अनंत डोर देखा और उसे तोड़कर अग्नि में डाल दिया, जिससे वे सभी प्रकार के धन और पुत्र सुख से वंचित हो गए. बाद में शीला के कहने पर अनंत को ढूंढने जंगल गए. जहां भगवान विष्णु/कृष्ण ब्राह्मण रूप में मिले और उन्हें अपना वास्तविक स्वरूप दिखाया. फिर कृष्ण की आज्ञा से उन्होंने 14 वर्षों तक अनंत व्रत कर सभी प्रकार की समृद्धि पुनः प्राप्त की. महाभारत के अनुसार भगवान विष्णु/कृष्ण ही अनंत के रूप में पूजे जाते हैं.
अनंत भगवान के व्रति प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर दोपहर 3 बजे के बाद भगवान अनंत का पूजन करें. इसके लिए कुश से कृष्ण की आकृति बनाकर चंदन, तुलसी, धूप, दीप आदि अर्पण करें. यदि आप मीठा पकवान बनाने में सक्षम हैं तो 14 जगह पत्र या बर्तन में भोग लगाएं. 14 गांठ का रेशम का डोर अनंत के रूप में अपने दाहिने हाथ में बांधें. इस दिन पूजन के समय फूल लगे हुए खीरे में अनंत को बांधकर पंचामृत में घुमाते हुए यह उच्चारण करें -क्षीर समुद्र से मंथन के द्वारा अनंत भगवान की प्राप्ति हुई है और उन्हें प्रणाम करें.
भगवान अनंत का पूजन व्यक्ति की सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाला है. मान्यता है कि भीष्म पितामह के उपदेशानुसार पांडवों ने भी अनंत की पूजा की थी, जिससे उन्होंने हस्तिनापुर का राज्य पुनः प्राप्त किया.
मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और Bharat.one तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले…और पढ़ें
मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और Bharat.one तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले… और पढ़ें