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Health Tips: पलामू के योग गुरु पवन आर्य के अनुसार, सुबह खाली पेट नीम की पत्तियां चबाना शरीर को डिटॉक्सीफाई कर इम्यूनिटी, लिवर, त्वचा और दांतों के लिए फायदेमंद है.

आयुर्वेद में नीम को औषधीय गुणों का भंडार माना गया है. इसका हर हिस्सा पत्तियां, छाल, टहनियां और फल शरीर के लिए फायदेमंद है. सदियों से लोग नीम की दातुन का इस्तेमाल दांतों को मजबूत रखने के लिए करते आए हैं, लेकिन पलामू जिले के योग और प्राकृतिक चिकित्सा के विशेषज्ञ योग गुरु पुरुषार्थी पवन आर्य कहते हैं कि खाली पेट नीम की पत्तियों का सेवन करना कई गंभीर बीमारियों को दूर करने में मददगार हो सकता है.

दरअसल, नीम को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजनीय माना जाता है. वहीं, झारखंड को बात करें तो यह इलाका जंगल झाड़ वाला क्षेत्र है. जहां की सभी इलाकों में नीम पाई जाती है. पलामू जिले में हर ग्रामीण इलाकों लगभग 1000 से 1500 नीम के पेड़ पाए जाते है. इसमें कई औषधीय गंभीर है. यह नीम प्रकृति का सबसे सस्ता और प्रभावी औषधीय पेड़ है, जो हमारे शरीर को अंदर से शुद्ध करता है और रोगों के खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है.

योग गुरु पवन आर्य बताते हैं कि सुबह-सुबह खाली पेट नीम की 4-5 पत्तियां चबाना शरीर को डिटॉक्सीफाई करने का सबसे अच्छा तरीका है. नीम में फ्लेवोनोइड्स, अजादिराच्टिन, निम्बिडिन, टैनिन, प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, पोटैशियम, विटामिन सी और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं. साथ ही इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं. ये गुण शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालते हैं और पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं.

आगे कहा कि नीम की टहनियों से दातुन करने की परंपरा भारत में हजारों साल पुरानी है. पवन आर्य कहते हैं कि नीम की पत्तियां भी उतनी ही प्रभावी हैं. इनमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करते हैं. इससे मसूड़ों से खून आना, बदबूदार सांस और दांतों में कैविटी जैसी समस्याएं दूर होती हैं. नीम का नियमित सेवन ओरल हाइजीन को बेहतर बनाता है और दांतों को प्राकृतिक चमक प्रदान करता है.

लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है, लेकिन गलत खानपान, शराब और दवाइयों के अत्यधिक सेवन से लिवर पर दबाव बढ़ जाता है. पवन आर्य बताते हैं कि नीम लिवर को डिटॉक्सीफाई करता है और उसके टिशूज को नुकसान से बचाता है. इससे फैटी लिवर, पीलिया और हेपेटाइटिस जैसी समस्याओं का खतरा कम हो सकता है.

योग गुरु के अनुसार, नीम की पत्तियों का नियमित सेवन खून को साफ करता है. जब खून साफ होता है, तो त्वचा पर भी इसका असर दिखता है. मुहांसे, ब्लैकहेड्स, पिगमेंटेशन और झुर्रियों की समस्या धीरे-धीरे कम हो जाती है. नीम त्वचा को अंदर से पोषण देता है, जिससे नेचुरल ग्लो आता है. यही कारण है कि कई स्किन केयर प्रोडक्ट्स में नीम का इस्तेमाल किया जाता है.

आज के समय में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी का मजबूत होना बेहद जरूरी है. पवन आर्य कहते हैं कि नीम में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण शरीर को संक्रमण से बचाते हैं. नियमित सेवन से सर्दी-जुकाम, बुखार, वायरल और त्वचा संबंधी संक्रमण की संभावना कम हो जाती है. नीम प्राकृतिक रूप से इम्यूनिटी को बूस्ट करने का काम करता है.

उन्होंने कहा कि नीम मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद है. यह ब्लड शुगर के स्तर को संतुलित रखने में मदद करता है. साथ ही, यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाता है. इससे दिल की बीमारियों का खतरा कम हो सकता है.

पवन आर्य बताते हैं कि सुबह खाली पेट 4-5 नीम की कोमल पत्तियां अच्छी तरह धोकर चबानी चाहिए. शुरुआत में इसका कड़वा स्वाद अजीब लग सकता है, लेकिन धीरे-धीरे आदत हो जाती है. चाहें तो नीम को गुनगुने पानी के साथ पी सकते हैं. इसके अलावा, नीम पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर भी लिया जा सकता है.

योग गुरु चेतावनी देते हैं कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं, लो ब्लड प्रेशर वाले मरीज और छोटे बच्चे नीम का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना न करें. अधिक मात्रा में सेवन करने से लिवर पर दबाव बढ़ सकता है और शरीर में कमजोरी आ सकती है.
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