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Recipe: चखी है छत्तीसगढ़ी लजीज ‘अंगाकर रोटी? पकाने के लिए पलाश के पत्ते का इस्तेमाल, जानें रेसिपी


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Recipe Angakar Roti: छत्तीसगढ़ मे ‘अंगाकर रोटी’ का एक अलग ही क्रेज है. जिसका स्वाद एक बार चखने पर मन को तृप्त कर देता है. यह सिर्फ एक रोटी नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की ग्रामीण संस्कृति और सेहत का प्रतीक है.

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छत्तीसगढ़ अपनी अनुपम प्राकृतिक सुंदरता, खनिज संपदा और घने वनों के लिए तो जाना ही जाता है, लेकिन इसकी एक और पहचान है, जो सीधे दिल और पेट से जुड़ी है. यहां के पारंपरिक और स्वादिष्ट व्यंजन. इन पकवानों में सबसे ऊपर नाम आता है ‘अंगाकर रोटी’ का, जिसका स्वाद एक बार चखने पर मन को तृप्त कर देता है. यह सिर्फ एक रोटी नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की ग्रामीण संस्कृति और सेहत का प्रतीक है.

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अंगाकर रोटी को केवल स्वाद के लिए ही नहीं, बल्कि सेहत की दृष्टि से भी अत्यंत उत्तम और स्वास्थ्यवर्धक माना गया है. इसमें किसी भी तरह के कृत्रिम तत्व या जटिल प्रक्रिया का उपयोग नहीं होता. इसकी सादगी ही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है.गोबर के कंडों की धीमी आंच और पलाश के पत्तों का इस्तेमाल इसे एक अनूठा स्वाद और सुगंध प्रदान करता है, जो इसे अन्य रोटियों से बिल्कुल अलग बनाता है.

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छत्तीसगढ़ के वनांचल और ग्रामीण क्षेत्रों में यह रोटी सर्वाधिक लोकप्रिय है.यहां यह केवल एक पकवान नहीं, बल्कि दैनिक जीवन का हिस्सा है, जिसे बड़े चाव से खाया जाता है.बदलते वक्त के साथ, अब शहर के होटलों में भी अंगाकर रोटी की धूम मची है. गढ़कलेवा जैसी सरकारी पहल से लेकर राज्य के कई बड़े होटलों में, ऑर्डर पर यह स्वादिष्ट रोटी आसानी से मिल जाती है.लेकिन जो असली देसी स्वाद और मिट्टी की खुशबू गांव और वनांचल में मिलती है, उसका मुकाबला कहीं और नहीं, जहां की महिलाएं इसे पारंपरिक तरीके से बनाती हैं.

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इस रोटी की सबसे खास बात इसके बनाने का तरीका है. इसे सीधे कंडों की धीमी आंच या ‘अंगार’ पर पकाया जाता है, इसीलिए इसे ‘अंगाकर रोटी’ कहा जाता है. छत्तीसगढ़ की जान मानी जाने वाली इस रोटी को ताज़े चावल के आटे से बनाया जाता है, जिसमें कभी-कभी पके हुए चावल का भी इस्तेमाल किया जाता है.फिर इस आटे को पलाश के पत्तों में लपेटकर कंडों की आंच पर धीरे-धीरे पकाया जाता है, जिससे पत्तों की एक सौंधी खुशबू भी इसमें समा जाती है. गरमागरम अंगाकर रोटी को आखिर में शुद्ध घी लगाकर और तीखी टमाटर की चटनी के साथ खाने का अनुभव अविस्मरणीय होता है. यह सिर्फ एक भोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभव है जो छत्तीसगढ़ की पहचान को दर्शाता है.

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अंगाकर रोटी सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की आत्मा है.यह यहां की सादगी, परंपरा और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है.यदि आप छत्तीसगढ़ की सच्ची संस्कृति और स्वाद का अनुभव करना चाहते हैं, तो एक बार अंगाकर रोटी का स्वाद जरूर चखें.

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Recipe: चखी है छत्तीसगढ़ी लजीज ‘अंगाकर रोटी? पलाश के पत्ते का होता है इस्तेमाल


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