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क्या रबीउल अव्वल महीने में शादी करना जायज है? मुस्लिम समाज में दो राय…धर्मगुरु ने बताई हकीकत!


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Rabi-UL-Awwal Month: रबीउल अव्वल का महीना मुस्लिम समाज में खास महत्व रखता है. इस महीने को लेकर शादी-ब्याह पर लोगों की राय अलग-अलग है. कुछ लोग इसे शादी के लिए सही मानते हैं, तो कुछ इससे परहेज करते हैं. आखिर इसके…और पढ़ें

अलीगढ़: इस्लामिक कैलेंडर का हर महीना अपनी खास पहचान और अहमियत रखता है. फिलहाल जो महीना चल रहा है, वह है इस्लामिक हिजरी कैलेंडर का तीसरा महीना यानी कि रबीउल अव्वल महीना. इस महीने को मुस्लिम समुदाय में खासतौर पर प्रोफेट मोहम्मद साहब की पैदाइश और उनके जीवन से जुड़ी यादों के कारण बहुत महत्व दिया जाता है. यही वजह है कि इस महीने को लोग इबादत, जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी और धार्मिक तकरीरों के लिए अहम मानते हैं.

शादी-ब्याह को लेकर दो अलग राय
वहीं, जब बात शादी-ब्याह की आती है तो मुस्लिम समाज में इस महीने को लेकर दो तरह की सोच देखने को मिलती है. कुछ लोग इस महीने में शादी करने से परहेज करते हैं, जबकि दूसरी ओर एक बड़ा तबका इसे सही मानता है.

क्यों कुछ लोग शादी से परहेज करते हैं?
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना इफराहीम हुसैन बताते हैं कि कुछ लोग मानते हैं कि यह महीना केवल मोहम्मद साहब की याद और उनकी सीरत को समर्पित है. इसमें दुनियावी खुशियों और जश्न की जगह धार्मिक माहौल बनाए रखना बेहतर समझा जाता है. ऐसे लोग इस महीने में शादी-ब्याह जैसे उत्सव आयोजित नहीं करते. उनका कहना है कि यह महीना सादगी और इबादत में गुजारने का है, इसलिए इसमें शादी करना मुनासिब नहीं है.

क्यों कुछ लोग मानते हैं सही?
वहीं, एक बड़ी संख्या ऐसे लोगों की भी है जो रबीउल अव्वल महीने में शादी करना पूरी तरह जायज़ मानते हैं. उनका कहना है कि इस्लाम ने कभी भी किसी महीने को शादी-ब्याह के लिए नाजायज़ या मना नहीं किया है. शादी एक सुन्नत है और इसे किसी भी दिन, किसी भी महीने में किया जा सकता है. इस्लाम में अशुभ समय या मनहूस महीनों की मान्यता नहीं है. ये सब समाज और परंपराओं से जुड़ी बातें हैं.

मौलाना इफराहीम हुसैन का कहना है कि यह फर्क दरअसल सोच और परंपरा का है. कुछ लोग धार्मिक माहौल और आध्यात्मिकता को प्राथमिकता देते हैं, जबकि दूसरे लोग इस्लाम की बुनियादी शिक्षाओं और सुन्नत के आधार पर किसी भी महीने में शादी को सही मानते हैं. यही वजह है कि मुस्लिम समाज में रबीउल अव्वल महीने में शादी को लेकर अलग-अलग राय मिलती है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि रबीउल अव्वल महीने में शादी करना या न करना पूरी तरह से लोगों और उनके पारिवारिक विचारों पर निर्भर करता है. इस्लामिक नजरिए से इसमें कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन परंपराओं और सामाजिक मान्यताओं की वजह से मतभेद जरूर देखने को मिलते हैं.

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Seema Nath

पिछले 5 साल से मीडिया में सक्रिय, वर्तमान में Bharat.one हिंदी में कार्यरत. डिजिटल और प्रिंट मीडिया दोनों का अनुभव है. मुझे लाइफस्टाइल और ट्रैवल से जुड़ी खबरें लिखना और पढ़ना पसंद है.

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