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Haridwar News: इन दिनों में अपने सभी पितरों पूर्वजों का पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म आदि पितृ कार्य किए जाते हैं. पितृ पूजा में काले तिल का प्रयोग करना जरूरी होता है.
इन दिनों में अपने सभी पितरों पूर्वजों का पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म आदि पितृ कार्य किए जाते हैं. पितृ पूजा में काले तिल का प्रयोग करना जरूरी होता है जिससे पितृ सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. यदि पितृ कार्यों में काले तिल का प्रयोग नहीं किया जाता तो जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं आनी शुरू हो जाती हैं. चलिए विस्तार से जानते हैं…
पितृपक्ष में पितृ कार्यों और पितृ पूजा में काले तिल के प्रयोग को लेकर ज्यादा जानकारी देते हुए हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित मनोज मिश्रा बताते हैं कि साल 2025 में 7 सितंबर से पितरों के निमित्त किए जाने वाले श्राद्धों की शुरुआत हो गई थी. इन दिनों में पितृ दोष से मुक्ति और पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म आदि का विधान है.
वह बताते हैं कि तिल भगवान के पसीने से उत्पन्न होता है. यह तीन प्रकार के होते हैं जिसमें काले तिल का उपयोग श्राद्ध कर्म, पितृ तर्पण में किया जाता है. काला तिल यम, शनि, राहु, केतु का प्रतीक होता है और पितृ शांति के लिए इसका उपयोग किया जाता है. पितृपक्ष के दिनों में सभी के पितृ अपने वंशजों का निरीक्षण करने के लिए धरती लोक पर आते हैं, इसलिए जल में काले तिल डालकर तर्पण करने से पितृ तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं. वह आगे बताते हैं कि श्राद्ध पक्ष में हमारे पितृ पूर्वज किसी ना किसी रूप में हमारे आसपास रहते हैं. यदि जल में काले तिल डालकर उनका तर्पण किया जाए तो वह उन्हें प्राप्त होता है.