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shraddha and tarpan have special significance at ghat of Ujjain during Pitru Paksha | महाकाल की नगरी उज्जैन का चमत्कारी घाट, जहां श्राद्ध से पितरों को मिलता है बैकुंठ धाम


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उज्जैन में पितरों का श्राद्ध और तर्पण अत्यंत पुण्यदायी माना गया है. शास्त्रों में उज्जैन को मोक्षदायी तीर्थ कहा गया है, क्योंकि यह महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और शिप्रा नदी के तट पर स्थित है. साथ ही यहां पर चार सिद्धवट में से एक सिद्धवट मौजूद है. यहां सप्तऋषियों को साक्षी मानकर पितरों का श्राद्ध किया जाता है.

महाकाल की नगरी उज्जैन का चमत्कारी घाट, श्राद्ध से पितरों को मिलता है बैकुंठ
उज्जैन को अवंतिका नगरी और बाबा महाकाल की भूमि के रूप में भी जाना जाता है. सतयुग से ही यहां तर्पण और श्राद्ध कर्म की परंपरा चली आ रही है. उज्जैन में सिद्धवट, रामघाट और गयाकोठा तीर्थ पर पिंडदान और तर्पण सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं. उज्जैन की मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के घाटों पर प्रतिवर्ष पितृ पक्ष के दौरान हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. इनमें सबसे प्रमुख रामघाट है, जिसकी मान्यता भगवान श्रीराम से जुड़ी हुई है. कथा है कि वनवास काल में भगवान राम जब उज्जैन आए थे, तब उन्होंने शिप्रा नदी के तट पर अपने पिता महाराज दशरथ के लिए तर्पण और पिंडदान किया था.

माता पार्वती ने लगाया था वटवृक्ष
इसी प्रकार सिद्धवट घाट का महत्व भी अत्यधिक है. यहां एक प्राचीन वटवृक्ष स्थित है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसे माता पार्वती ने लगाया था. इसका वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है. देशभर में ऐसे चार सिद्धवट माने जाते हैं, जिनमें से एक उज्जैन का सिद्धवट है. इसे प्रेतशिला और शक्तिभेद तीर्थ भी कहा जाता है. यहां पितरों का श्राद्ध करने से वे तुरंत तृप्त होते हैं और आदित्यलोक की प्राप्ति करते हैं. मान्यता है कि जब भगवान महाकाल की सेना में शामिल भूत-प्रेतों ने मुक्ति का स्थान मांगा, तब भगवान शिव ने उन्हें सिद्धवट क्षेत्र दिया, तभी से यह स्थान मुक्ति और श्राद्ध कर्म के लिए सर्वोपरि माना जाता है.

पितृ कर्म के लिए प्रसिद्ध है गयाकोठा मंदिर
उज्जैन का गयाकोठा मंदिर भी पितृ कर्म के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है. यहां हजारों लोग दूध और जल से तर्पण तथा पिंडदान करते हैं. ऋषि तलाई नामक स्थान पर फल्गुन नदी का गुप्त प्राकट्य माना जाता है. यहां सप्तऋषियों को साक्षी मानकर पितरों का श्राद्ध करने से वैसा ही फल मिलता है, जैसे गयाजी धाम में श्राद्ध करने से प्राप्त होता है.

पुरोहितों के पास 150 साल पुराना वंशावली रिकॉर्ड
उज्जैन की एक और विशेषता यह है कि यहां के पुरोहितों के पास लगभग 150 साल पुराना वंशावली रिकॉर्ड मौजूद है. आज के डिजिटल युग में भी वे बिना किसी कंप्यूटर की मदद के, मात्र गोत्र, समाज या गांव का नाम पूछकर पीढ़ियों का विवरण बही-खातों से बता देते हैं. यह प्राचीन पद्धति आज भी मान्य है और कोर्ट में भी इसे साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जाता है.

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Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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महाकाल की नगरी उज्जैन का चमत्कारी घाट, श्राद्ध से पितरों को मिलता है बैकुंठ

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