ऋषिकेश: भारत एक धार्मिक और सांस्कृतिक देश है जहां हर त्योहार का विशेष महत्व होता है. इन्हीं त्योहारों में से एक है करवा चौथ. यह पर्व सुहागिन स्त्रियों के लिए बेहद खास माना जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत करती हैं. सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक अन्न-जल का त्याग कर महिलाएं ईश्वर से प्रार्थना करती हैं. हालांकि, यह व्रत बेहद कठिन और अनुशासनपूर्ण है, इसलिए हर महिला के लिए इसे करना संभव नहीं होता. शास्त्रों और स्वास्थ्य दोनों दृष्टिकोण से कुछ स्त्रियों को करवा चौथ का व्रत नहीं करना चाहिए.
भारतीय संस्कृति का एक सुंदर और पवित्र त्योहार है करवा चौथ
Bharat.one के साथ बातचीत के दौरान पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि करवा चौथ भारतीय संस्कृति का एक सुंदर और पवित्र त्योहार है जो पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. लेकिन हर महिला के लिए यह व्रत करना जरूरी या संभव नहीं है. गर्भवती महिलाएं, बीमार महिलाएं, अविवाहित लड़कियां, विधवा स्त्रियां और मासिक धर्म से गुजर रही महिलाएं इस व्रत से दूरी बनाए रखें या फिर परंपरा के अनुसार आवश्यक बदलाव करें.
किन महिलाओं को नहीं करना चाहिए
सबसे पहले बात करते हैं गर्भवती महिलाओं की. करवा चौथ का व्रत निर्जला होता है यानी इसमें दिनभर पानी तक नहीं पिया जाता. गर्भवती महिला के लिए लंबे समय तक भूखा और प्यासा रहना न केवल उनके स्वास्थ्य बल्कि गर्भस्थ शिशु के लिए भी हानिकारक हो सकता है. ऐसे में डॉक्टर और परिवार के बड़े-बुजुर्ग भी यही सलाह देते हैं कि गर्भवती स्त्रियां यह व्रत न करें. उनकी सेहत और बच्चे का विकास सबसे अहम होता है.
करवा चौथ का व्रत केवल सुहागिन स्त्रियां ही रखें
इसके अलावा शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि करवा चौथ का व्रत केवल सुहागिन स्त्रियां ही रखें. यह व्रत पति की लंबी आयु और दांपत्य सुख के लिए किया जाता है. इसलिए, कुंवारी लड़कियों को यह व्रत नहीं करना चाहिए. हालांकि, कई बार देखा जाता है कि अविवाहित लड़कियां भी जल्दी विवाह के लिए इस व्रत का पालन करती हैं, लेकिन धार्मिक दृष्टि से यह उचित नहीं माना गया है.
एक और महत्वपूर्ण पहलू है मासिक धर्म. हिंदू परंपराओं में पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ करने की मनाही होती है. करवा चौथ का व्रत पूजा-अर्चना और विधि-विधान के साथ ही पूरा होता है. लेकिन अगर किसी महिला को करवा चौथ के दिन मासिक धर्म हो रहा है तो वे व्रत रख सकती हैं, लेकिन पूजा स्वयं नहीं करनी चाहिए. इस स्थिति में वे अपने पति या परिवार के किसी अन्य सदस्य से पूजा करवा सकती हैं. इससे व्रत खंडित भी नहीं होगा और धार्मिक परंपरा भी निभाई जा सकेगी.
इसके साथ ही जिन महिलाओं को गंभीर बीमारी है या जिन्हें डॉक्टर ने लंबे समय तक भूखा रहने से मना किया है, उन्हें भी यह व्रत करने से बचना चाहिए. करवा चौथ का व्रत कठिन है और इसमें शरीर पर ज्यादा असर पड़ सकता है. खासकर जिनको डायबिटीज, लो ब्लड प्रेशर, या किसी तरह की कमजोरी रहती है उन्हें यह व्रत नहीं रखना चाहिए.