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वैद्य नंदू प्रसाद बताते हैं कि छुईमुई का पौधा किसी खास देखभाल के बिना ही जंगलों, खेतों और खाली पड़ी जगहों पर आसानी से उग आता है. यह पौधा ज्यादा बड़ा नहीं होता, लेकिन इसकी जड़ों, पत्तियों और फूलों में औषधीय गुण भरे होते हैं. ग्रामीण इलाकों में लोग अक्सर इसे पहचानते हैं और घरेलू इलाज में इस्तेमाल करते हैं.

प्रकृति ने हमें कई ऐसे पौधे दिए हैं जो सेहत के लिए किसी दवा से कम नहीं हैं. इन्हीं में से एक है छुईमुई का पौधा. इसे लोग लाजवंती या छुईमुई भी कहते हैं. इसकी खासियत यह है कि छूते ही इसके पत्ते सिकुड़ जाते हैं.

Bharat.one से बातचीत के दौरान, रामनाथ आरोग्य धाम के वैद्य नंदू प्रसाद बताते हैं कि छुईमुई का पौधा जंगलों, खेतों और खाली जगहों पर आसानी से उग जाता है. छोटे से पौधे में इतनी औषधीय ताकत होती है कि यह कई बीमारियों में प्राकृतिक दवा का काम करता है. छुईमुई का पौधा घाव भरने में बहुत कारगर माना जाता है और यह त्वचा रोगों को ठीक करने में मदद करता है. आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल बवासीर, पेट की तकलीफ और खून साफ करने के लिए किया जाता है. इसके पत्तों का रस सूजन और दर्द कम करने में भी काम आता है.

घाव और त्वचा रोगों में असरदार: छुईमुई के पौधे की सबसे खास बात यह है कि यह घाव भरने में बहुत कारगर है. यदि किसी को चोट लग जाए या कटने-छिलने जैसी समस्या हो, तो इसके पत्तों को पीसकर लेप लगाने से घाव जल्दी भरने लगता है. यही नहीं, त्वचा संबंधी रोग जैसे खुजली, फोड़े-फुंसी या दाने होने पर भी इसके पत्तों का रस बेहद लाभकारी माना जाता है.

पेट और पाचन के लिए फायदेमंद: छुईमुई का पौधा पेट से जुड़ी कई परेशानियों को दूर करने में मदद करता है. इसका इस्तेमाल पेट दर्द, कब्ज और पाचन संबंधी गड़बड़ियों में किया जाता है. इसका रस पीने से शरीर का खून भी साफ होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

सूजन और दर्द कम करने में मददगार: कभी-कभी शरीर में चोट लगने, मोच आने या किसी हिस्से में सूजन हो जाने पर लोग तुरंत दवा लेने की बजाय घरेलू नुस्खे अपनाते हैं. ऐसे समय पर छुईमुई का पत्ता पीसकर लगाने से सूजन और दर्द दोनों कम हो जाते हैं. यही कारण है कि गांवों में लोग इसे प्राकृतिक पेनकिलर की तरह इस्तेमाल करते हैं.

बवासीर में लाभकारी: बवासीर जैसी गंभीर बीमारी में भी छुईमुई का पौधा असरदार साबित होता है. आयुर्वेदिक वैद्य बताते हैं कि इसके पत्तों का काढ़ा या रस मरीज को आराम दिलाने में सहायक होता है. इसके लगातार प्रयोग से सूजन कम होती है और दर्द से राहत मिलती है.

हालांकि यह पौधा बेहद फायदेमंद है, लेकिन किसी भी औषधीय पौधे की तरह इसका इस्तेमाल भी वैद्य या जानकार की सलाह से ही करना चाहिए. गलत मात्रा या गलत तरीके से उपयोग करने पर इसके फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है.
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