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Places to Visit in Meerut: आप भी अगर दिल्ली के आसपास कोई ऐसे ऐतिहासिक स्थान की तलाश कर रहे हैं. जहां आप घूमकर ऐतिहासिक और पौराणिक पहलुओं से रूबरू हो सके. तो ऐसे सभी लोगों के लिए दिल्ली से महज 100 किलोमीटर दूर हस्तिनापुर काफी बेहतर साबित हो सकता है. जहां आप महाभारत कालीन ऐतिहासिक पहलुओं से रूबरू हो सकते हैं.

हस्तिनापुर में आप जैसे ही प्रवेश करेंगे. आपको महाभारत कालीन पांडेश्वर मंदिर देखने को मिलेगा. जो टीले के समीप बना हुआ है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि पांचो पांडव यही विधि विधान के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना किया करते थे. यहां पांचो पांडव की मूर्तियां भी लगी हुई है. ऐसे में लोग यहां भी दूर दराज से दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.

पांडेश्वर मंदिर से थोड़ी ही दूर आपको कर्ण मंदिर भी देखने को मिलेगा. महाराज कर्ण के बारे में विभिन्न ऐतिहासिक तथ्यों में भी उल्लेख है. वह प्रतिदिन ब्राह्मणों को सवा मन सोना दान किया करते थे. जो उनकी कुलदेवी द्वारा उन्हें प्रदान किया जाता था. ऐसे में आज यह भी यह मंदिर उन चीजों की गवाही देते हुए दिखाई देता है. मंदिर के महंत शंकरदेव महाराज बताते हैं कि जो भी श्रद्धालु यहां विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करता है. उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

इसी तरह से हस्तिनापुर जब आप द्रौपदी मंदिर जाएंगे. तो आप हस्तिनापुर की उस घटना से रूबरू होंगे. जो महाभारत का मुख्य कारण मानी जाती है. यहां एक मूर्ति लगी हुई है. जिसमें चीर हरण को दिखाया गया है. जब दुशासन द्वारा द्रौपदी का चीर हरण किया जा रहा था. तब किस तरह से भगवान श्री कृष्ण ने उनकी लाज बचाई थी. उस पूरे वाक्य को आप यहां से समझ सकते हैं. यहां मई माह में एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. मान्यता है कि जो भी यहां उस मेले में शमिल होकर पूजा अर्चना करता है. उसकी सभी मनोकामना द्रौपदी मां पूरी करती है.

मंदिर के पास ही द्रौपदी घाट भी बना हुआ है. कहा जाता है कि यही पर द्रौपदी स्नान कर वह विधि विधान के साथ यहां पूजा अर्चना किया करती थी. यहां से बूढ़ी गंगा होकर भी गुजरती है. बूढ़ी गंगा भी महाभारत दौर में अपना एक विशेष स्थान रखती थी. जो लोगों की जीवन की मुख्य धारा मानी जाती थी. ऐसे में कहा जाता है कि सरोवर में स्नान करने से चर्म रोग संबंधित समस्याओं का भी समाधान होता है.

हस्तिनापुर से ही संबंधित किला परीक्षितगढ़ भी अपने आप में ऐतिहासिक पौराणिक रहस्य को समाए हुए हैं. यहां पर महाराज श्री श्रृंगी ऋषि का आश्रम बना हुआ है. कहा जाता है कि राजा परीक्षित के सिर पर कलयुग यही से ही सवार हुआ था. इस क्षेत्र को नागों का भी क्षेत्र कहा जाता है. क्योंकि यहां राजा तक्षक से लेकर नागराज राजा वासुकी तक का उल्लेख देखने को मिलता है. ऐसे में यहां विभिन्न ऐतिहासिक पौराणिक स्थल भी बने हुए हैं. बताते चलें कि इन दोनों ही क्षेत्र में आज भी विभिन्न प्रकार के ऐसे रहस्य हैं. जो हजारों वर्षों की यादों को ताजा करते हैं.
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