शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व 22 सितंबर से प्रारंभ है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शारदीय नवरात्रि आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक होती है. इसमें लोग पूरे 9 दिनों तक व्रत रखकर माता दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं. कुछ लोग शारदीय नवरात्रि के पहले और अंतिम दिन ही व्रत रखते हैं तो कुछ लोग केवल दुर्गा अष्टमी को व्रत और पूजा करते हैं. जिसकी जैसर श्रद्धा और क्षमता होती है, वह उस प्रकार से उपवास करता है और मां दुर्गा की कृपा पाने का प्रयास करता है. शारदीय नवरात्रि के व्रत में कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है, नहीं तो व्रत टूट जाता है और उपवास का फल भी नहीं मिलता है.
शारदीय नवरात्रि व्रत के नियम
1. शारदीय नवरात्रि में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए. वह व्यक्ति शादीशुदा हो या फिर अविवाहित हो, इस नियम का पालन अनिवार्य है.
2. शारदीय नवरात्रि के 10 दिनों में घर में को व्रत है तो प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, धुम्रपान आदि का सेवन पूर्णतया वर्जित होता है.
3. शारदीय नवरात्रि के व्रत में फलाहार कर सकते हैं, कुछ लोग केवल पानी पीते हैं तो कुछ लोग एक समय का भोजन करके व्रत रखते हैं. इसमें शाकाहार के नियमों का पालन करते हैं.
5. व्रत के 9 दिनों में व्रती को दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. यदि स्वयं से संभव हो तो देवीभागवत पुराण का पाठ करें.
6. नवरात्रि महिला शक्ति का प्रतीक है. व्रती और अन्य सभी लोगों को महिलाओं का सम्मान करना चाहिए.
7. नवरात्रि के दुर्गा अष्टमी और महा नवमी को कन्या पूजा जरूर करें. कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानते हैं. वैसे आप चाहें तो नवरात्रि के लगातार 9 दिनों तक कन्या पूजा कर सकते हैं, लेकिन ऐसा संभव नहीं है तो दुर्गा अष्टमी को करें.
8. व्रत स्वयं के उत्थान और भगवती कृपा प्राप्ति के लिए करते हैं. लेकिन इस दौरान आपको क्रोध, लोभ, मोह, घमंड, दूसरों से घृणा आदि नहीं करना चाहिए.
9. व्रत या पूजा में आपके आराध्य आपकी भावनाओं को देखते हैं. जितनी ही आपकी भावनाएं पवित्र होंगी, उतना ही व्रत का शुभ प्रभाव आपके जीवन पर होगा.
10. नवरात्रि में व्रती को नाखून, बाल, दाढ़ी आदि नहीं काटना चाहिए. आप नवरात्रि से पहले ये काम कर लें.
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