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Rishikesh News: महंत रामेश्वर गिरी ने कहा कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जब भगवान शिव की पत्नी माता सती ने अपने पिता दक्ष द्वारा किए गए अपमान से व्यथित होकर यज्ञ कुंड में आत्मदाह कर लिया था, तब भगवान शिव ने उनके शरीर को उठाकर तांडव करना शुरू किया.
कुंजापुरी मंदिर का इतिहास और मान्यता:
ब्रह्मांड की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के अंग-प्रत्यंग को पृथ्वी पर गिराया. जहां-जहां माता के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई. कुंजापुरी मंदिर भी उन्हीं 51 शक्तिपीठों में से एक है जहां माता सती का ऊपरी भाग यानी कुंजा गिरा था. तभी से यह स्थान कुंजापुरी देवी मंदिर कहलाया और भक्तों के लिए शक्ति और आस्था का प्रतीक बन गया.
कुंजापुरी माता मंदिर समुद्र तल से लगभग 1676 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां से हिमालय की श्रृंखलाओं और गंगा घाटी का अद्भुत नजारा दिखाई देता है. सुबह सूर्योदय और शाम का सूर्यास्त देखने के लिए यह स्थान बेहद खास माना जाता है. ऋषिकेश से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर आध्यात्मिक साधना के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां आने वाला हर श्रद्धालु न केवल मां के दरबार में मनोकामना मांगता है बल्कि प्रकृति की गोद में बैठकर आत्मिक शांति का अनुभव भी करता है.
नवरात्रों के पावन अवसर पर कुंजापुरी माता मंदिर की भव्यता और भी बढ़ जाती है. इन दिनों मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. सुबह से लेकर देर रात तक मां के जयकारों से पूरा वातावरण गूंजता रहता है. श्रद्धालु दूर-दूर से यहां पहुंचकर मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. माना जाता है कि सच्चे मन से मां कुंजापुरी के दरबार में आकर प्रार्थना करने से हर मनोकामना पूरी होती है. नवरात्रों के दौरान विशेष पूजा-अर्चना, जागरण और भजन संध्या का आयोजन भी होता है, जिससे यह स्थान एक जीवंत आध्यात्मिक मेले का रूप ले लेता है.