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Navratri 2025: नवरात्र में रजरप्पा मंदिर रामगढ़ में छिन्नमस्तिका देवी की पूजा होती है, जहां भक्त दूर-दूर से साधना और सिद्धि के लिए आते हैं, खासकर तांत्रिकों का जमावड़ा रहता है.

नवरात्र में खासतौर पर रांची से करीब 100 किमी की दूरी पर स्थित रामगढ़ के रजरप्पा मंदिर में काफी रौनक रहती है. क्योंकि यह देश के प्रमुख सिद्ध पीठ में से एक है. यहां पर लोग दूर-दूर से साधना करने के लिए आते हैं और कई सारे सिद्धि भी प्राप्त करते हैं. यहां पर माता छिन्नमस्तिका देवी की पूजा-पाठ करते हैं.

यहां पर माता रानी की जो मूर्ति है. वह कटे हुए सर की है, जो उन्होंने खुद काटा था. इसके पीछे भी एक कहानी है. पुजारी बताते हैं कि एक बार माता की सहेलियों को काफी भूख लगी और उन्हें रक्त पीना था.

ऐसे में माता रानी ने कहा अब हम किसी और को तो नहीं मार सकते. ऐसे में उन्होंने खुद का गला काटा और अपने सहेलियों को अपना रक्त देकर उनके भूख को शांत किया.

पुजारी बताते हैं कि दूसरों की भूख मिटाने के लिए खुद की भी परवाह न करना और खुद को भी त्याग देना माता रानी यह कहना चाहती हैं कि जगत कल्याण के लिए लोगों की कल्याण के लिए अगर खुद का भी बलिदान देना पड़े तो दे देना चाहिए.

लेकिन, कभी किसी और की हानि ना करो. यह मूर्ति यह संदेश देती है और यह बहुत ही वाइब्रेटेड जगह पर है और सिद्ध पीठ है. ऐसे में यहां पर तंत्र विद्या में भी कई लोग माहिर होने के लिए देश से के कोने-कोने से आते हैं.

खासकर नवरात्रि के 9 दिन तो यहां पर तांत्रिक और साधकों का जमावड़ा लगा रहता है. भक्त दूर-दूर से आते हैं. बस एक बार माता रानी के दर्शन हो जाए जो मुराद मांगो वह पूरी हो जाती है.

यहां अभी 9 दिन आपको गजब का नजारा देखने को मिलेगा. यहां पूरे साल भर रौनक रहती है, लेकिन यह 9 दिन अद्भुत रहता है. यहां हर जगह पर ध्यान मग्न और माता रानी के जयकारे की ध्वनि सुनाई देती है.