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Ayodhya News: अयोध्या के सरयू के किनारे स्थित एक ऐसा भी मंदिर है. जहां हनुमान जी महिला यानी कि देवी के रूप में विराजमान है. उनकी सेवा पूजा अर्चना भी स्त्री के रूप में ही की जाती है. इस मंदिर का नाम कालेराम मंदिर है
अयोध्या में सिद्ध पीठ हनुमानगढी पर मां अंजनी और पवन पुत्र हनुमान की सेवा प्रतिदिन की जाती है हनुमानगढ़ी मंदिर सिद्ध पीठ हनुमानगढी की स्थापना और मंदिर को लेकर तमाम कथाएं प्रचलित है. अयोध्या के सरयू के किनारे स्थित एक ऐसा भी मंदिर है. जहां हनुमान जी महिला यानी कि देवी के रूप में विराजमान है. उनकी सेवा पूजा अर्चना भी स्त्री के रूप में ही की जाती है. हम बात कर रहे हैं. धर्मनगरी अयोध्या के प्राचीन और पुरातत्व संरक्षित सिद्ध पीठ कालेराम मंदिर की है. इस मंदिर की स्थापना खुद विक्रमादित्य ने की थी. यही वह स्थल है. जहां पर हनुमान जी देवी स्वरूप में विराजमान है.
हनुमान जी की प्रतिमा लगभग 2000 वर्ष पुरानी है. लेकिन हनुमान जी की प्रतिमा को साड़ी भी धारण कराई जाती है और उनका श्रृंगार भी किया जाता है. मंदिर के महंत की माने तो धार्मिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी का स्वरूप अहिरावण वध के लिए स्त्री स्वरूप में हुआ था. अहिरावण राम लक्ष्मण का हरण करके पाताल ले गया था. जहां पर देवी के सामने उनकी बलि देने वाला था. जिस पर हनुमान जी एक मात्र ऐसे देवता थे जिन्होंने राम और लक्ष्मण को खोजते हुए पाताल तक पहुंचे. जब उन्होंने देखा की देवी के सामने राम लक्ष्मण की बलि देने जा रहे हैं. उन्होंने स्वयं भी देवी का स्वरूप धारण किया और अहिरावण को अपने बाएं पैर से कुचलकर उसकी वहीं पर वध किया तब से हनुमान जी के स्वरूप की पूजा की जाती है. जो आज भी सिद्ध पीठ काले राम मंदिर में देखने को मिलती है.
स्त्री रूप में पूजे जाते हैं हनुमान
काले राम मंदिर के पुजारी गोपाल देशपांडे ने बताया कि यहां पर हनुमान जी देवी स्वरूप में विराजमान है.हनुमान जी का यह देवी स्वरूप में है. अहिरावण का वध करते समय हनुमान जी महाराज ने पाताल में जाकर देवी का रूप धारण किया था पाताल में अहिरावण राम और लक्ष्मण का हरण करके ले गया था. उसे दौरान अहिरावण देवी की पूजा करके देवी के सामने वाली देने वाला था. हनुमान जी महाराज मात्र एक ऐसे थे जो भगवान का खोज करते-करते पाक लाल तक पहुंचे. वहां जाकर जब देखा तब उन्होंने देवी रूप धारण कर लिया इसके बाद हनुमान जी देवी रूप धारण करते हुए अहिरावण का बाएं पैर से कुचलकर वध किया यही वजह है कि यहां पर हनुमान जी महाराज देवी रूप में पूजे जाते हैं. यह प्रतिमा 2000 वर्ष पुरानी है. यह प्रतिमा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित है हनुमान जी महाराज को साड़ी धारण कराया जाता है लंगोटी धारण कराया जाता है.
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