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True happiness। जीवन में संतोष का महत्व


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Inner Peace By Premanand Maharaj: हमें सच्चा सुख चाहिए तो चकाचौंध के पीछे भागना छोड़कर भगवान से जुड़ना होगा. धन-संपत्ति का इस्तेमाल जीवन की जरूरतें पूरी करने तक ही होना चाहिए, न कि दिखावे और लालच को बढ़ाने के लिए. असली शांति भगवान के नाम में, संतोष में और आत्मा की सच्चाई को पहचानने में है. जब इंसान ये समझ लेता है कि चकाचौंध झूठी है, तो उसका मन मुक्त हो जाता है और वह जीवन का असली आनंद ले पाता है.

प्रेमानंद महाराज का संदेश, जीवन में संतोष होता है तब मिलती है तृप्तिचकाचौंध का सच
Inner Peace By Premanand Maharaj: आज के समय में इंसान का सबसे बड़ा भ्रम यही है कि चकाचौंध ही सुख देती है. जब किसी को धन मिलता है, नाम मिलता है या दिखावे की दुनिया में पैर जमते हैं, तो उसे लगता है कि अब सब कुछ हासिल हो गया, लेकिन सच यह है कि ये चमक-दमक कभी भी मन को तृप्त नहीं करती. जितना भी पैसा, जितनी भी शानो-शौकत इंसान के पास हो जाए, उसका लालच और बढ़ता ही जाता है. परिणाम ये होता है कि इंसान हमेशा और पाने की दौड़ में उलझा रहता है. असली शांति और संतोष दिखावे में नहीं बल्कि भगवान के प्रति सच्चे भाव और नाम जप में है. जब इंसान इस सत्य को समझ लेता है तो उसकी आत्मा को हल्कापन और जीवन को सच्चा सुख मिल जाता है.

असली सुख दिखावे में नहीं
दुनिया की चकाचौंध पहली नजर में बेहद आकर्षक लगती है. चमकदार गाड़ियां, बड़ा घर, महंगी चीजें और शोहरत – ये सब इंसान को अपने जाल में फंसा लेती हैं. शुरुआत में लगता है कि यही असली उपलब्धि है, लेकिन धीरे-धीरे समझ आता है कि ये तो कभी खत्म न होने वाली भूख है. एक चीज मिलती है तो दूसरी की चाहत पैदा हो जाती है, ये सिलसिला ऐसा चलता है कि इंसान के पास कितना भी हो, उसे हमेशा कुछ कमी महसूस होती रहती है.

भगवान का नाम ही सहारा
अगर हम यह समझ लें कि यह दुनिया का सारा दिखावा अस्थायी है, तो मन अपने आप हल्का हो जाएगा. जैसे बेकार नोटों से भरा ट्रक किसी को लुभा नहीं सकता, वैसे ही जब हमें यकीन हो जाए कि चकाचौंध झूठी है, तो उसका असर खत्म हो जाएगा. इसके लिए सबसे आसान और असरदार उपाय है भगवान का नाम जप. जितना ज्यादा हम नाम जप करेंगे, उतनी ही ज्यादा हमारे मन की अशांति दूर होगी. नाम जप हमें भीतर से मजबूती देता है और बाहरी दुनिया की झूठी चमक-दमक से दूर रखता है.

संतोष ही असली धन
साईं बाबा ने भी कहा है – “इतना दीजिए जामे कुटुंब समाए, मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाए.” इसका मतलब यही है कि जीवन में उतना ही होना चाहिए जितना घर और परिवार के लिए जरूरी है. लालच से कभी किसी की भूख नहीं मिटती, बल्कि वो और बढ़ती जाती है, लेकिन संतोष का भाव दिल में आ जाए तो छोटा सा जीवन भी बड़ा लगने लगता है.

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Keerti Rajpoot

मीडिया की दुनिया में मेरा सफर एक रेडियो जॉकी के रूप में शुरू हुआ था, जहां शब्दों की ताकत से श्रोताओं के दिलों तक पहुंच बनाना मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि रही. माइक के पीछे की यह जादुई दुनिया ही थी जिसने मुझे इलेक्ट्र…और पढ़ें

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प्रेमानंद महाराज का संदेश, जीवन में संतोष होता है तब मिलती है तृप्ति


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https://hindi.news18.com/news/dharm/how-can-human-get-inner-peace-know-the-answer-by-premanand-maharaj-ws-ekl-9660670.html

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