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पलामू का चमत्कारी मंदिर: नि:संतान दंपतियों को दर्शन से मिलता पुत्र का आशीर्वाद, जानें मान्यता


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Palamu Mangla Gauri Mandir: पलामू के बंदुआ गांव स्थित मंगला गौरी मंदिर तांत्रिक राम दत्त मिश्र द्वारा स्थापित है. जहां डॉ. अजय मिश्र के अनुसार पूजा से संतान सुख और रोगों से मुक्ति मिलती है.

झारखंड के पलामू जिले के बंदुआ गांव में स्थित माता मंगला गौरी मंदिर आस्था और चमत्कार का केंद्र माना जाता है. यहां विवाहिता जोड़े संतान प्राप्ति और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष रूप से आते हैं. यहां मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है.

झारखंड के पलामू जिले के बंदुआ गांव में स्थित माता मंगला गौरी मंदिर आस्था और चमत्कार का केंद्र माना जाता है. यहां विवाहिता जोड़े संतान प्राप्ति और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष रूप से आते हैं. यहां मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है.

झारखंड का यह मंदिर इकलौता मंगला गौरी मंदिर है. जिसकी स्थापना तांत्रिक राम दत्त मिश्र ने सैकड़ों वर्ष पूर्व तंत्र-मंत्र विधि से की थी. तभी से यह स्थान भक्तों की आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. यहां सैकड़ों वर्षों से पूजा अर्चना होते आ रही है.

झारखंड का यह मंदिर इकलौता मंगला गौरी मंदिर है. जिसकी स्थापना तांत्रिक राम दत्त मिश्र ने सैकड़ों वर्ष पूर्व तंत्र-मंत्र विधि से की थी. तभी से यह स्थान भक्तों की आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. यहां सैकड़ों वर्षों से पूजा अर्चना होते आ रही है.

मंदिर के पुजारी डॉ. अजय मिश्र के अनुसार, यहां सच्चे मन से पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है. भभूत को सिर पर लगाने से रोग दूर हो जाते हैं और संतानहीन दंपति यहां पूजा करने पर संतान सुख प्राप्त करते हैं.

मंदिर के पुजारी डॉ. अजय मिश्र के अनुसार, यहां सच्चे मन से पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है. भभूत को सिर पर लगाने से रोग दूर हो जाते हैं और संतानहीन दंपति यहां पूजा करने पर संतान सुख प्राप्त करते हैं.

श्रद्धालु मंदिर में नारियल और चुनरी अर्पित करते हैं. 1980 के बाद से यहां श्रद्धालुओं का विश्वास लगातार बढ़ा है. बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं. यहां शिव स्थल है. इसके साथ मंदिर में एक तालाब भी है.

श्रद्धालु मंदिर में नारियल और चुनरी अर्पित करते हैं. 1980 के बाद से यहां श्रद्धालुओं का विश्वास लगातार बढ़ा है. बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं. यहां शिव स्थल है. इसके साथ मंदिर में एक तालाब भी है.

पुजारी ने आगे बताया कि बिहार के गया बाद, झारखंड के पलामू जिले में ही मंगला गौरी माता का मंदिर है. यहां केवल हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम, सिख, ईसाई और अन्य धर्मों के लोग भी अपनी मन्नत लेकर आते हैं. मां के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता.

पुजारी ने आगे बताया कि बिहार के गया बाद, झारखंड के पलामू जिले में ही मंगला गौरी माता का मंदिर है. यहां केवल हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम, सिख, ईसाई और अन्य धर्मों के लोग भी अपनी मन्नत लेकर आते हैं. मां के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता.

मंदिर का दरबार सुबह 4 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक खुलता है. संतान प्राप्ति के बाद श्रद्धालु यहां छठ पर्व भी मनाते हैं. इसके साथ यहां कई बीमारियों के लिए भी श्रद्धालु पहुंचते है.

मंदिर का दरबार सुबह 4 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक खुलता है. संतान प्राप्ति के बाद श्रद्धालु यहां छठ पर्व भी मनाते हैं. इसके साथ यहां कई बीमारियों के लिए भी श्रद्धालु पहुंचते है.

मेदिनीनगर निवासी बिट्टू जैन ने बताया कि तीन साल तक संतान न होने के बाद, मंगला गौरी मंदिर में पूजा करने से उन्हें संतान सुख मिला. वहीं गढ़वा जिले के नरसिंह साव ने कहा कि शादी के 8 वर्ष बाद उन्हें यहां पूजा करने से संतान प्राप्त हुई है.

मेदिनीनगर निवासी बिट्टू जैन ने बताया कि तीन साल तक संतान न होने के बाद, मंगला गौरी मंदिर में पूजा करने से उन्हें संतान सुख मिला. वहीं, गढ़वा जिले के नरसिंह साव ने कहा कि शादी के 8 वर्ष बाद उन्हें यहां पूजा करने से संतान प्राप्त हुई है.

मंदिर के पुजारी डॉ. अजय मिश्र ने आगे कहा कि यहां आने वाले श्रद्धालु अपने कई बीमारी के इलाज कराकर जाते है. मान्यता है कि मा के भभूत लगाकर गंभीर बीमारी से छुटकारा मिलता है. इसके साथ अपनी मनोकामना भी पूर्ण होती है.

मंदिर के पुजारी डॉ. अजय मिश्र ने आगे कहा कि यहां आने वाले श्रद्धालु अपने कई बीमारी के इलाज कराकर जाते है. मान्यता है कि मां के भभूत लगाकर गंभीर बीमारी से छुटकारा मिलता है. इसके साथ अपनी मनोकामना भी पूर्ण होती है.

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