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Balaghat News: श्रद्धालुओं को पहली नवरात्रि पर कलश प्रज्वलित करने की अनुमति होती है. वहीं नवमी पर भक्तगण कलश का विसर्जन करने आते हैं. अगर कोई न आ पाए, तो समिति के सदस्य ही कलश को विसर्जित करते हैं.
बालाघाट. मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में मां काली का एक अनोखा मंदिर है, जहां पर मां काली प्रतिमा जमीन पर लेटी हुई मुद्रा में है. ऐसा माना जाता है कि इस तरह की यह मध्य प्रदेश की इकलौती प्रतिमा है. इस मंदिर को काली पाठ के नाम से जाना जाता है. यहां पर सिर्फ बालाघाट ही नहीं बल्कि देशभर से भक्त मां काली के दर्शन के लिए आते हैं. मान्यता है कि यहां मांगी गई मन्नत जरूर पूरी होती है. मनोकामना पूरी होते ही भक्त नवरात्रि में अखंड कलश की स्थापना करते हैं. स्थानीय निवासी प्रखर पांडे ने Bharat.one को बताया कि यह मंदिर जहां स्थित है, वहां पर कभी घना जंगल हुआ करता था. यहां पर पहले से ही मां काली की प्रतिमा थी. इस जंगल में चरवाहे अपने मवेशियों को चराने के लिए आते थे. उन्होंने ही यहां पर मां काली की पूजा-अर्चना शुरू की थी.
हर साल बढ़ती है माता रानी की प्रतिमा
श्रद्धालुओं का दावा है कि मां काली की प्रतिमा का आकार हर साल बढ़ता जा रहा है. उनका कहना है कि पहले मां काली की प्रतिमा बहुत छोटी थी लेकिन वक्त के साथ बड़ी होती गई. वहीं ऐसा भी बताया जाता है कि यह मां काली की एकमात्र ऐसी प्रतिमा है, जो लेटी हुई है.
नवरात्रि में होती खास पूजा
मंदिर से जुड़े लोगों ने बताया कि नवरात्रि में माता रानी का विशेष श्रृंगार किया जाता है. भक्त मंदिर आते हैं और माता रानी के गीत गाकर आराधना करते हैं. मंदिर में कन्या पूजन भी किया जाता है. इसके बाद ज्योति कलश का विसर्जन किया जाता है. महाप्रसाद का वितरण भी इस आयोजन को खास बना देता है.
मनोकामना पूरी होने पर कलश स्थापना
स्थानीय निवासी राजीव यादव ने बताया कि भक्तगण माता रानी के दरबार में नौकरी, संतान प्राप्ति, विवाह सहित कई मनोकामनाएं लेकर आते हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर वे नवरात्रि में कलश स्थापना करते हैं. इस साल 851 अखंड कलश की स्थापना की गई है. भक्तों को नवरात्रि के पहले दिन कलश प्रज्वलित करने की अनुमति होती है. वहीं नवमी के दिन भक्तगण अपने कलश का विसर्जन करने आते हैं. अगर कोई नहीं आ पाए, तो समिति के सदस्य ही कलश विसर्जित करते हैं. कलश की देखरेख के लिए 6 सेवादार रखे गए हैं, जो सुबह-शाम कलश में तेल और घी डालने का काम करते हैं.
दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
मां काली के इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. यहां पर बालाघाट के अलावा मंडला और सिवनी से भी लोग आते हैं. वहीं महाराष्ट्र के भंडारा, गोंदिया और नागपुर से भी भक्त आते हैं. छत्तीसगढ़ से भी श्रद्धालु आते हैं. भक्तों का मानना है कि यहां पर सच्चे मन से प्रार्थना करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.