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हिमाचल प्रदेश का पारंपरिक भोजन न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि यह स्वास्थ्य और संस्कृति का भी प्रतीक है. पहाड़ी जीवनशैली में इसे ताजे स्थानीय अनाज, सब्जियों और मसालों के साथ तैयार किया जाता है, जो शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ पोषण भी प्रदान करता है. आइए जानें हिमाचल की कुछ खास पारंपरिक डिश और उनके स्वाद व पोषण के रहस्य….

हिमाचल का सबसे लोकप्रिय पारंपरिक भोजन है भरेसे की रोटी और मांथली, जो बाजरा, भरेसा या गेहूं के आटे से बनाई जाती है. यह रोटी मोटी और भरपेट होती है, जिसे खाने के साथ घी या दही के साथ परोसा जाता है.

हिमाचल के हर हिस्से में अलग-अलग प्रकार की धाम बनाई जाती है, जो उस इलाके की संस्कृति को भी दर्शाती है. मंडी, कुल्लू, बिलासपुर, कांगड़ा आदि जगहों पर इसे अलग-अलग तरीके से तैयार किया जाता है. लेकिन, इसे बनाने के लिए प्याज और लहसुन दोनों का उपयोग नहीं किया जाता.

यह बरसात के समय प्राकृतिक रूप से उगने वाले कचालू के पत्ते होते हैं, जिन्हें बेसन के साथ मिलाकर फ्राई किया जाता है और इनका स्वाद बहुत शानदार होता है.

इसके अलावा तिरू और खिचड़ी जैसे व्यंजन भी स्थानीय घरों में नियमित बनते हैं. इनमें स्थानीय मसाले और जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल स्वाद और पोषण दोनों बढ़ाता है.

हिमाचल का भोजन साधारण और प्राकृतिक होता है. यहां के लोग ताजा स्थानीय अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल करते हैं. उदाहरण के लिए, मक्की की रोटी और सरसों का साग या कद्दू की सब्जी स्थानीय मसालों के साथ बनाई जाती है. मखाना और छोले जैसी सामग्री से बनी डिशें भी स्वास्थ्यवर्धक होती हैं. पहाड़ी घरों में भोजन बनाने में लकड़ी का चूल्हा या तंदूर इस्तेमाल होता है, जिससे खाने में अलग ही स्वाद आता है.

हिमाचल प्रदेश का पारंपरिक भोजन सिर्फ पेट भरने का साधन नहीं है, बल्कि यह संस्कृति, स्वाद और स्वास्थ्य का अद्भुत मिश्रण है. मोटी रोटियां, स्थानीय अनाज और ताजे मसाले इसे खास बनाते हैं. पहाड़ी जीवनशैली में यह भोजन लोगों को ऊर्जा देता है, स्वास्थ्य बनाए रखता है और प्राकृतिक स्वाद का अनुभव कराता है. हिमाचल की पारंपरिक डिशें हर किसी के लिए स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर विकल्प हैं.
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https://hindi.news18.com/photogallery/lifestyle/recipe-himachal-traditional-food-blend-of-taste-culture-and-health-pahadi-dish-know-speciality-local18-ws-kl-9668245.html







