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saraswati avahan kalratri sampurn pujan vidhi on Saubhagya Yog and Shubh Muhurta | सौभाग्य योग में माता सरस्वती आह्वान संपूर्ण पूजा विधि मंत्र सहित


Saraswati Avahan Kalratri Sampurn Pujan Vidhi : नवरात्रि की सप्तमी तिथि को माता सरस्वती का आह्वान किया जाता है अर्थात माता को आमंत्रित किया जाता है. सप्तमी तिथि को दुर्गा पूजा का पहला प्रमुख दिन माना जाता है और इसी दिन पंडालों में से माता दुर्गा की आंखों पर बंधी पट्टी हटाई जाती है. सरस्वती आह्वान के दिन सौभाग्य योग, शोभन योग, बुधादित्य योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. इन शुभ योग में माता सरस्वती का आह्वान और भी ज्यादा शुभ फलदायी माना जाएगा. विद्या, ज्ञान, बुद्धि और कला की अधिष्ठात्री मां सरस्वती का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन विशेष पूजा-विधि का पालन करना बेहद शुभ माना गया है.

सरस्वती आह्वान का महत्व (Importance Of Saraswati Avahan Puja)

मां सरस्वती की पूजा करने से विद्या, विवेक और स्मरण शक्ति की प्राप्ति होती है और राहु समेत कई ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है. मां सरस्वती ज्ञान, विवेक और स्पष्ट वाणी की देवी हैं और उनका आह्वान करने से राहु से उत्पन्न अज्ञान और मानसिक अंधकार दूर होता है. जब राहु अशुभ होता है, तब व्यक्ति को पढ़ाई में बाधा, मानसिक भ्रम, नशे की प्रवृत्ति, गलत संगति, निर्णय में भूल और विद्या-संबंधी हानि होती है. राहु के लिए इष्ट देवी माता सरस्वती को माना गया है. मां सरस्वती की पूजा करने से विद्या, विवेक और स्मरण शक्ति की प्राप्ति होती है. यह पूजा जीवन से अज्ञान और अंधकार को दूर कर ज्ञान और प्रकाश का संचार करती है.

सरस्वती आह्वान पूजन मुहूर्त (Saraswati Avahan Pujan Muhurta)

देवी सरस्वती के आह्वान की पूजा मूल नक्षत्र में की जाती है और मूल नक्षत्र सुबह 10 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम को 05 बजकर 06 बजे तक रहेगा. साथ ही मध्यरात्रि यानी 12 बजे माता की पूजा अर्चना करें.

Maa Saraswati Avahan Mantra

सरस्वती आह्वान की संपूर्ण पूजा विधि (Saraswati Avahan Puja Vidhi)

महासप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सफेद वस्त्र धारण करें. मां सरस्वती का स्थान बनाएं और स्थल को साफ करें और उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. इसके बाद गंगाजल से पूजा स्थल और मूर्ति/चित्र का आचमन कर शुद्धिकरण करें. देवी को सफेद आसन पर विराजमान करें, घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं. माता सरस्वती को सफेद और नीले फूल, सफेद वस्त्र, मिश्री, खीर, दही और फल अर्पित करें. इसके बाद अक्षत (चावल) और पुष्प अर्पित करते हुए मां सरस्वती का आह्वान करें. मंत्र जाप करें ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः॥ इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें. अंत में मां सरस्वती की आरती उतारें और अपने मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करें.

महासप्तमी और दुर्गाष्टमी के दिन शाम के समय दुर्गा चालीसा, कीलक स्तोत्र या दुर्गा सप्तशती का विधिपूर्वक संपूर्ण पाठ करें. दोनों दिन पाठ खत्म हो जाने के बाद हवन भी करें. माता को नीले फूल, छोटी इलायची, काले तिल, सुपारी, शहद, पान, कमल गट्टा, काली मिर्च, जायफल, लौंग, गूगल, जौं, घी की आहुति दें. हवन करते समय ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जप करें. अंत में नारियल की पूर्ण आहुति दें. अगर आपको संपूर्ण विधि विधान के साथ दोनों दिन हवन करना चाहते हैं किसी योग्य पंडित से करवाएं.

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