Shami Plant on Dussehra: दशहरा पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. यह दिन अच्छाई की जीत और नई शुरुआत का प्रतीक है. इस दिन रावण दहन करके हम बुराई पर अच्छाई की विजय का जश्न मनाते हैं. पूजा-पाठ, रामलीला, रावण दहन और मेलों के अलावा इस दिन एक खास परंपरा भी है- एक पवित्र पौधे की पूजा करना और उसे घर में लगाना. यह पौधा हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि दशहरे पर इस पौधे को लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है, आर्थिक रुकावटें दूर होती हैं और जीवन में सफलता के नए रास्ते खुलते हैं. यही नहीं, इस पौधे के वैज्ञानिक, वास्तु और पर्यावरणीय फायदे भी हैं. आइए जानते हैं इस परंपरा का महत्व, इसके पीछे की कहानियां और इसके फायदे. इस बारे में बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी.
हिंदू धर्म में इस पौधे का विशेष महत्व बताया गया है. रामायण की कथा के अनुसार, भगवान राम ने रावण से युद्ध से पहले इस पौधे के वृक्ष के सामने झुककर विजय की कामना की थी. इसलिए दशहरे पर इसकी पूजा करना शक्ति और विजय पाने का प्रतीक माना जाता है.
महाभारत में भी इसका उल्लेख मिलता है. पांडवों ने अपने वनवास के दौरान अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र इसी पौधे के वृक्ष में छिपा दिए थे. अज्ञातवास समाप्त होने के बाद उन्होंने इन्हीं अस्त्रों को निकालकर महाभारत का युद्ध जीता. इसलिए इसे साहस और सफलता का प्रतीक माना जाता है.
दशहरे पर इस पौधे को लगाने के फायदे
1. सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति
इस पौधे को घर में लगाने से वातावरण शुद्ध और सकारात्मक बनता है. यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और मन को शांत रखता है. दशहरे के दिन इसे लगाना घर में शांति और खुशी बनाए रखने के लिए शुभ माना जाता है.
2. आर्थिक समृद्धि और सौभाग्य
वास्तु शास्त्र में इस पौधे को सौभाग्य का कारक माना गया है. इसे घर या ऑफिस में लगाने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और नई अवसरों के द्वार खुलते हैं. इसे घर के पश्चिम या दक्षिण दिशा में लगाना विशेष रूप से लाभदायक माना जाता है.
3. विजय और सुरक्षा का प्रतीक
दशहरा विजय का पर्व है और यह पौधा विजय का प्रतीक माना जाता है. इसे लगाने से जीवन में आने वाली रुकावटें कम होती हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है. घर के मुख्य द्वार के पास इसे लगाने से नकारात्मक ऊर्जा बाहर ही रुक जाती है.
4. पर्यावरण के लिए फायदेमंद
यह पौधा सूखी जमीन में भी आसानी से उगता है और मिट्टी के कटाव को रोकता है. यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है और छोटे जीव-जंतुओं व पक्षियों के लिए आश्रय प्रदान करता है. इसे लगाना पर्यावरण के लिए भी अच्छा कदम है.
5. औषधीय उपयोग
इस पौधे की पत्तियां और छाल कई आयुर्वेदिक औषधियों में प्रयोग की जाती हैं. यह सूजन, घाव और पाचन संबंधी समस्याओं में फायदेमंद मानी जाती है. इसके फल भी खाने योग्य होते हैं और सेहत के लिए लाभकारी हैं.
लगाने और देखभाल का तरीका
इसे धूप वाली जगह लगाएं, क्योंकि इसे सीधी धूप पसंद है.
मिट्टी अच्छी तरह निथरी हुई होनी चाहिए ताकि पानी जमा न हो.
शुरुआती दिनों में नियमित पानी दें, लेकिन बाद में यह बहुत कम पानी में भी हरा-भरा रहता है.
समय-समय पर सूखी शाखाएं काटते रहें ताकि पौधा स्वस्थ बना रहे.
पूजा विधि
दशहरे के दिन इस पौधे की पूजा सुबह या रावण दहन से पहले की जाती है. इसकी पत्तियों पर हल्दी-कुमकुम और चावल चढ़ाकर दीपक जलाया जाता है. इसके बाद पत्तियां घर लाकर तिजोरी या मंदिर में रखी जाती हैं ताकि घर में धन और समृद्धि बनी रहे.
दशहरे पर यह पौधा लगाना केवल धार्मिक रिवाज नहीं बल्कि जीवन में सकारात्मकता, सफलता और समृद्धि को आमंत्रित करने का तरीका है. यह हमें याद दिलाता है कि सच्ची विजय सिर्फ बाहर की नहीं बल्कि अंदर की बुराइयों पर भी होनी चाहिए. यह पौधा घर और मन दोनों में शांति और खुशहाली लेकर आता है.
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