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shardiya navratri 2025 durga Ashtami Maa Mahagauri Puja Today maa Mahagauri puja vidhi or mantra maa ka bhog and pujan muhurat and Mahagauri ki aarti | आज दुर्गाष्टमी पर करें महागौरी पूजा, जानें महत्व, पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग और आरती


Shardiya Navratri 2025 Day 9, Maa Mahagauri Puja : शारदीय नवरात्रि अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ चुका है और आज दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी की पूजा अर्चना की जाएगी. देवीभागवत पुराण के अनुसार, मां के नौ रूप और 10 महाविद्याएं सभी मां आदिशक्ति भवानी के अंश और स्वरूप हैं लेकिन देवों के देव महादेव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में महागौरी ही विराजमान रहती हैं और भक्तों पर कल्याण करती हैं.इस दिन भक्तजन पूरे श्रद्धा भाव से महागौरी की पूजा करते हैं. मान्यता है कि महागौरी की आराधना से भक्त के सभी पाप धुल जाते हैं, जीवन में सुख-समृद्धि आती है और वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती हैं. आइए जानते हैं माता महागौरी की पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती…

दुर्गाष्टमी पूजा का महत्व

शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी भी कहा जाता है. महागौरी माता भक्तों के लिए अन्नपूर्णा स्वरूप हैं, भक्तों को किसी भी प्रकार का कोई कष्ट ना हो, मां पूरी तरह इसका ध्यान रखती हैं. मां दुर्गा का यह स्वरूप सफेद वस्त्र और उज्ज्वल आभा से युक्त है. इन्हें शांति, पवित्रता और सौंदर्य की देवी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि मां महागौरी की कृपा से भक्त को मनचाहा वरदान प्राप्त होता है और जीवन की हर कठिनाई समाप्त होती है. महागौरी माता अविवाहित कन्याओं के लिए शुभ विवाह और विवाहित स्त्रियों को सौभाग्य, सुख और संतान-सुख प्रदान करती हैं.

मां महागौरी की पूजा का मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: 04:38 ए एम से 05:26 ए एम
अभिजित मुहूर्त: 11:48 ए एम से 12:35 पी एम
विजय मुहूर्त: 02:11 पी एम से 02:58 पी एम

ऐसा है मां महागौरी का स्वरूप

देवी महागौरी का स्वरूप अत्यंत श्वेत, निर्मल और शांत है. शास्त्रों में माता का वर्णन इस प्रकार मिलता है कि इनका शरीर हिम के समान उज्ज्वल और गौर है. माता श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, स्वर्णाभूषणों से अलंकृत रहती हैं. मां महागौरी का वाहन वृषभ (बैल) है और इनकी चार भुजाएं भी हैं. मां के एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरू, तीसरे से अभय मुद्रा (भय मिटाने का वर) और चौथे से वरमुद्रा (मनोकामना पूर्ण करने का आशीर्वाद) देती हैं. माता का मुखमंडल पूर्ण चंद्रमा के समान उज्ज्वल और शांत है.

महागौरी को प्रिय भोग

नवरात्रि की दुर्गाष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा होती है और माता को सफेद रंग की चीजें अत्यंत प्रिय हैं. इसलिए आज आप माता को दूध से बनी मिठाई (खीर, रसगुल्ला, मिश्री), नारियल, सफेद फूल भक्तजन यह भोग अर्पित कर देवी की कृपा प्राप्त करते हैं.

महागौरी पूजा मंत्र

बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ महागौर्यै नमः

ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

ध्यान मंत्र:
श्वेत वृष पर आरूढ़ा श्वेतांबरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

स्तोत्र मंत्र (दुर्गा सप्तशती से)
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वरदाभयदात्रीं च महागौरीं नमोऽस्तु ते॥

महागौरी पूजा विधि

सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें. एक लकड़ी के आसन पर सफेद कपड़ा बिछाकर महागौरी जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और चारों तरफ गंगाजल से छिड़काव करें. इसके बाद दीपक और धूप जलाएं और देवी को अक्षत (चावल), पुष्प, गंध, रोली और चंदन अर्पित करें. अब माता को सफेद फूल, सफेद वस्त्र और सुगंधित भोग विशेष रूप से अर्पित करें. पूजा के बीच-बीच में परिवार के सदस्यों के साथ माता के जयकारे भी लगाते रहें. देवी के सामने बैठकर उनका ध्यान करें और मंत्र जप करें, ॐ देवी महागौर्यै नमः॥ और वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वरदाभयदात्रीं च महागौरीं नमोऽस्तु ते॥. दुर्गा सप्तशती, सप्तश्लोकी दुर्गा या देवी स्तुति का पाठ करें. माता को भोग में खीर, नारियल, मिश्री, दूध से बने पदार्थ (जैसे रसगुल्ला, पेड़ा) अर्पित करें. अंत में आरती करें जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी. अब परिवार और कन्याओं को भोग प्रसाद वितरित करें.

मां महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया.
जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा.
महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे.
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता.
कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा.
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती हवन कुंड में था जलाया.
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया.
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया.
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता.
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो.
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो॥

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