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शारदीय नवरात्रि में भी बंद रहता है मां भगवती का यह अनोखा मंदिर, फिर भी जलती है अंखड ज्योति, महिलाओं की एंट्री भी बैन


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छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में निरई माता का मंदिर एक प्रमुख श्रद्धा स्थल है. कहा जाता है कि यहां माता की मूर्ति स्वयंभू प्रकट हुई थी और भक्तों की मनोकामना पूरी करती है. इस मंदिर से जुड़े लोकविश्वास के अनुसार, निरई माता की पूजा करने से रोग-शोक दूर होते हैं, संतान सुख मिलता है और परिवार में समृद्धि आती है. आइए जानते हैं माता के रहस्य्मयी मंदिर के बारे में…

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नवरात्रि में भी बंद रहता है माता का यह रहस्यमयी मंदिर, महिलाओं की एंट्री बैन

छत्तीसगढ़ में एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर है, जो शारदीय नवरात्रि और साल के बाकी दिन भी बंद रहता है और साल में सिर्फ एक दिन ही दर्शन के लिए मंदिर के कपाट खोले जाते हैं. यह मंदिर चैत्र नवरात्रि के पहले दिन पांच से सात घंटे क लिए खुलता है और फिर कपाट बंद कर दिए जाते हैं. मंदिर जंगलों के बीच स्थित है और यहां के भक्त माता को वनदेवी के रूप में भी पूजते हैं. इस रहस्यमयी मंदिर में पूजा के तरीके अलग हैं, दरअसल इस मंदिर में पूजा के लिए महिलाओं की एंट्री पर बैन है. मंदिर में केवल पुरुष ही अंदर जाकर पूजा अर्चना कर सकते हैं. आइए जानते हैं निरई माता मंदिर के बारे में खास बातें…

केवल 5 से 7 घंटे खुलता है मंदिर
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में निरई माता का मंदिर है. यह मंदिर चैत्र नवरात्र के पहले दिन ही खुलता है और साल के बाकी दिन बंद रहता है. शारदीय नवरात्र में भी मंदिर के कपाट बंद रहते हैं. ये मंदिर पहाड़ी पर बना है और मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को पहाड़ पर बनी सीढ़ियों से होकर गुजरना पड़ता है. जिस दिन मंदिर के कपाट खुलते हैं, उस दिन हजारों की संख्या में भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मंदिर एक दिन के लिए 5 से 7 घंटे के लिए ही खोला जाता है.

मंदिर में महिलाओं की एंट्री बैन
निरई माता का मंदिर इसलिए भी रहस्यमयी है क्योंकि इस मंदिर में महिलाओं की एंट्री ही वर्जित है. महिलाओं को मंदिर से दूर रहने की सलाह दी जाती है और वे मंदिर का प्रसाद तक ग्रहण नहीं कर सकतीं. मान्यता है कि अगर कोई महिला मंदिर का प्रसाद भी ग्रहण करती है, तो उसके और परिवार के साथ अनहोनी होना तय है. मंदिर में कोई मूर्ति या तस्वीर नहीं है. श्रद्धालु एक विशेष स्थान पर पूजा-अर्चना करते हैं और मां को नारियल भेंट करते हैं. लोगों का मानना है कि मंदिर ही मां का निवास स्थान है, इसलिए किसी मूर्ति की जरूरत नहीं है.

आज तक रहस्य है मंदिर की ज्योति
इतना ही नहीं, चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मंदिर में ज्योति भी जलती है, वो भी बिना तेल और घी के. लोगों की मान्यता है कि मंदिर बंद होने के बाद भी लगातार नौ दिनों तक ज्योति जलती रहती है, यही मां निरई का चमत्कार है. अब ज्योति कैसे जलती है, कौन उसे जलाता है, ये आज तक रहस्य बना हुआ है. मान्यता है कि अगर किसी को संतान नहीं हो रही है, तो वो माता के मंदिर में अर्जी लगा सकता है. मंदिर में विशेष मौके पर बलि प्रथा भी थी, लेकिन अब भक्त नारियल अर्पित कर भी मनोकामना मांगते हैं.

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