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Gaya Kali Temple History: बेलागंज बाजार में 250 साल से मां दुर्गा प्रतिमा स्थापित नहीं होती है. काली माता की महिमा के कारण यहां सिर्फ द्वापरकालीन काली मंदिर में पूजा होती है.
गयाजीः बिहार के गया जिला के बेलागंज प्रखंड क्षेत्र के बेलागंज बाजार और दर्जनों गांव की लगभग 60 से 70 हजार आबादी के बीच एक जगह पर भी दुर्गा पूजा के अवसर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित नहीं होती है. मान्यता के अनुसार यहां के लोग अपनी इच्छा से मूर्ति स्थापित नहीं करते हैं. इस प्रखंड के 2 दर्जन से अधिक गांव हैं, जहां प्रतिमा स्थापित नहीं होती है. इन गांवों में खानेटा, पाली, अकलबीघा, वाजिदपुर, हरिगांव, सिंगोल, श्रीपुर, हसनपुर, कोरमा, अलावलपुर, बेचपुरा, वंशीबीघा, शेखपुरा, लालगंज, लक्षण बीघा, बेला, परसा बेला आदि गांव हैं, जहां मूर्ति नहीं बैठाई जाती है.
बेलागंज बाजार स्थित द्वापरकालीन काली मंदिर के पुजारी राजीव नयन पांडेय कहते हैं कि यहां मौजूद काली माता की महिमा अपरंपार है. स्वयं काली जी यहां विराजमान हैं, इसलिए बेलागंज तथा आसपास के गांवों में मूर्ति नहीं बैठती है. पिछले 250 वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है. दुर्गा प्रतिमा स्थापित करने के उत्साह से ज्यादा यहां के लोगों में मां काली के क्रोधित होने का डर होता है. बताया जाता है कि अगर कोई मूर्ति बैठाने का कोशिश किया उनके साथ अनहोनी हो जाती है या पंडाल में आग लग जाती है.
बेलागंज की प्रसिद्ध काली मंदिर द्वापरकालीन
बेलागंज की प्रसिद्ध काली मंदिर द्वापरकालीन है. इसका इतिहास द्वापर युग के अंत और कलयुग के प्रारंभ से मिलता है. मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष महेश पांडे कहते हैं कि द्वापरकालीन इस मंदिर में स्थित मां काली को लोग मां विभुक्षा काली के नाम से भी जानते हैं. यहां खाली पेट में मां हैं, जिस तरह से बंगाल में मां की जीभ की पूजा होती है उसी तरह यहां पेट की होती है.
खुदाई के दौरान मां का हुआ था उद्भव
मंदिर के इतिहास के बारे में यह बताया जाता है कि यहां मां काली का प्रतिष्ठापन द्वापर काल में असुर राजा वाणासुर की पुत्री ने किया था. वर्णित कथा के अनुसार खुदाई के दौरान मां का उद्भव हुआ था और वाणासुर की बेटी उषा ने उन्हें इस स्थान पर स्थापित किया. यहां अति प्रचाीन काल से ही माता की पूजा की जा रही है. वैसे तो सालों भर मां के दरबार में लोग पूजा-अर्चना करने पहुंचते है, लेकिन नवरात्र में श्रद्धालुओं उमड़ पड़ते हैं. उनकी सुविधा के लिए मंदिर कमेटी एवं स्थानीय प्रशासन मुस्तैद रहता है.
यहां जो भक्त सच्चे मन से मां की दरबार में अर्जी लगाते हैं. उनकी हर मनोकामना पूरी होती है. मां की कृपा से श्रद्धालुओं में आस्था दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. मगध क्षेत्र के अलावा बिहार के अन्य जगहों से हजारों की संख्या में लोग मंगलवार और रविवार को आते हैं. खासतौर से यहां शारदीय नवरात्रि में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ होती है.
मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और Bharat.one तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले…और पढ़ें
मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और Bharat.one तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले… और पढ़ें