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Shani Pradosh Vrat: शनि की महादशा से हैं परेशान, तो आज जरूर से करें प्रदोष व्रत..यहां जानें शुभ मुहुर्त और पूजा विधि


हरिद्वार: ज्योतिष शास्त्र में पूरी सृष्टि का आधार 12 राशियों और 9 ग्रह पर टीका हुआ है. सभी 9 ग्रहों में राहु, केतु और शनि को क्रूर ग्रह बताया गया है. इन तीनों ग्रहों का जातकों के जीवन में सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव होता है. तीनों ग्रहों में शनि ग्रह को सबसे अधिक शक्तिशाली बताया गया है. यदि किसी जातक के जीवन में शनि ग्रह की साढ़ेसाती, ढैया या महादशा चलती है, तो जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं, दुख, तकलीफ, आर्थिक तंगी, आर्थिक हानि आदि अनेक बाधाएं आती रहती हैं.

सभी नौ ग्रह भगवान शिव के अधीन होते हैं, इसलिए यदि उनके प्रिय मास और विशेष दिन उनकी पूजा अर्चना, व्रत, आराधना आदि की जाए तो जीवन खुशियों से भर जाता है. चलिए जानते हैं कैसे…

प्रदोष व्रत से कष्ट होते हैं दूर

इसकी अधिक जानकारी देते हुए हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि सभी नवग्रह भगवान शिव के अधीन होते हैं और भगवान शिव चातुर्मास के दौरान सृष्टि का संचालन करते हैं. संवत के 12 महीना में 24 त्रयोदशी तिथि का आगमन होता है जो भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय बताई गई है. चातुर्मास के दौरान यदि त्रयोदशी तिथि यानी प्रदोष व्रत शनिवार के दिन हो तो जातकों को इसका करोड़ों गुना फल प्राप्त होता है.

वह बताते हैं कि सभी नवग्रह में शनि, राहु और केतु को सबसे अधिक क्रूर ग्रह बताया गया है. आश्विन शुक्ल पक्ष भक्ति वाला बताया गया है, क्योंकि इस पक्ष में आदि शक्ति के निर्माता नवरात्रि के दिन विजयदशमी और आश्विन पूर्णिमा के शुभ दिन का आगमन होता है. संयोग से संवत 2082 आश्विन शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी तिथि यानी प्रदोष व्रत शनिवार के दिन 4 अक्टूबर को होगा.

विधि विधान से करें त्रयोदशी का व्रत

शनिवार का दिन शनि, केतू और राहु को समर्पित दिन बताया गया है. इस दिन त्रयोदशी का व्रत विधि विधान से करने पर साढ़ेसाती, ढैया और महादशा का नकारात्मक प्रभाव पूर्ण रूप से खत्म हो जाएगा. त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित होने के कारण शनि देव और राहु केतु जातकों को सकारात्मक फल देने के साथ ही सफलता के द्वार भी खोल देंगे.

क्या है शुभ मुहुर्त और पूजा विधि

आज 4 अक्टूबर शनिवार का दिन है. आज प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद का समय प्रदोष कल का समय है. इसी समय में भगवान शिव की आराधना, पूजा पाठ करने और काले तिल, जौ, फूल, शहद, दही, दूध, बेलपत्र आदि से उनका अभिषेक करने पर ग्रह संबंधित सभी समस्याएं खत्म होने के साथ जीवन में सुख समृद्धि खुशहाली का आगमन होता हैं. ध्यान रखें कि भगवान शिव की आराधना प्रदोष काल में ही करें जिससे जातकों को शनि प्रदोष व्रत का करोड़ों गुना लाभ मिलेगा.

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