Ahoi ashtami 2025 Date: अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखते हैं. इस दिन संतान की सुरक्षा के लिए व्रत रखकर अहोई माता की पूजा की जाती है. इस व्रत में तारों को देखकर पारण करते हैं, वहीं कुछ स्थानों पर चंद्रोदय के बाद पारण का विधान है. इसमें मातांए अन्न और जल का सेवन नहीं करती हैं. अहोई अष्टमी का निर्जला व्रत सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक होता है. इस बार अहोई अष्टमी के दिन 4 शुभ संयोग बन रहे हैं, जिसकी वजह से यह दिन और भी शुभ फलदायी हो गया है. आइए जानते हैं कि अहोई अष्टमी कब है? अहोई अष्टमी का मुहूर्त और तारों को देखने का समय क्या है?
अहोई अष्टमी तारीख
4 शुभ संयोग में अहोई अष्टमी व्रत
इस बार की अहोई अष्टमी पर 4 शुभ संयोग बन रहे हैं. अहोई अष्टमी के दिन रवि योग, परिघ योग, शिव योग और पुनर्वसु नक्षत्र है. व्रत पर रवि योग सुबह में 06:21 ए एम से बनेगा, जो दोपहर 12:26 पी एम तक रहेगा.
वहीं परिघ योग प्रात:काल से लेकर सुबह 08:10 ए एम तक रहेगा, उसके बाद शिव योग शुरू होगा, जो पूर्ण रात्रि तक है. 14 अक्टूबर को सुबह 05:55 ए एम तक शिव योग है. उस दिन पुनर्वसु नक्षत्र दोपहर में 12 बजकर 26 मिनट से है, जो पूरे दिन रहेगा.
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त
अहोई अष्टमी व्रत की पूजा का मुहूर्त सवा घंटे का है. अहोई अष्टमी की पूजा शाम को 5 बजकर 53 मिनट से शाम 7 बजकर 8 मिनट तक है. इस समय में अहोई माता की पूजा कर लेनी चाहिए. पूजा के समय पुनर्वसु नक्षत्र और शिव योग होगा.
अहोई अष्टमी पर तारों को देखने का समय
अहोई अष्टमी को शाम के समय में तारों को देखकर पारण किया जाता है. इस बार अहोई अष्टमी पर तारों को देखने का समय शाम 06 बजकर 17 मिनट पर है.
अहोई अष्टमी पर चंद्रोदय समय
जो माताएं चंद्रोदय होने के बाद अहोई अष्टमी व्रत का पारण करती हैं, उनको चांद के निकलने के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी होगी. अहोई अष्टमी की रात 11 बजकर 20 मिनट पर चंद्रोदय होगा.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)







