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Jalore Ancient Chamunda Mata Temple: जालोर की पहचान बने प्राचीन चामुंडा माता मंदिर में आज भी नवरात्रि के अवसर पर सदियों पुरानी परंपरा जीवित है. यहां पुरुष माता का स्वरूप धारण कर पारंपरिक गरबे करते हैं, जिन्हें देखने के लिए शहर और आस-पास के गांवों से श्रद्धालु उमड़ पड़ते हैं. ‘खेडे की जोगाणी’ कहलाने वाला यह स्थल जालोर की धार्मिक आस्था और लोकसंस्कृति का अद्भुत संगम माना जाता है.
जालोर. राजस्थान के जालोर स्थित सुंदेलाव तालाब की पाल पर स्थित प्राचीन चामुंडा माता मंदिर धार्मिक आस्था और लोकसंस्कृति का खास केंद्र है. यह मंदिर करीब 1300 साल पुराना है और माता जी के चार मंदिरों में से एक प्रमुख मंदिर माना जाता है. मुख्य पुजारी राजेश कुमार शर्मा बताते हैं कि चारों मंदिरों में से यही सबसे महत्वपूर्ण है और इसे श्रद्धालु ‘पिछोलापाल’ के नाम से जानते हैं. पुजारी ने Bharat.one को बताया कि महाराज मानसिंह ने इस मंदिर पर दोहा लिखा था.
नवरात्रि में उमड़ता है जनसैलाब
नवरात्रि के दौरान मंदिर को पूरी तरह सजाया जाता है और श्रद्धालु माता के नौ रूपों की पूजा करने आते हैं. खास बात यह है कि यहां पारंपरिक गरबा महोत्सव आज भी मनाया जाता है. मंदिर में पुरुष माता का स्वरूप धारण कर गरबा करते हैं और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. मंदिर में शीश और चरण पूजा का बहुत महत्व है. श्रद्धालु माता के सिर और चरणों की पूजा करके आशीर्वाद लेते हैं. यही वजह है कि ‘खेडे की जोगाणी’ कहलाने वाला यह स्थल जालोर की धार्मिक आस्था और लोकसंस्कृति का अद्भुत संगम माना जाता है.
1300 साल पुराना है माता का मंदिर
पुजारी राजेश शर्मा बताते हैं कि यह मंदिर करीब 1300 साल पुराना है और माता जी को 36 कोम की कुल देवी माना जाता है. गरबा, भजन और पूजा का यह मेल जालोर की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपरा को जीवित रखता है. पूजा और महोत्सव के समय पूरा जालोर और आस-पास के गांवों से श्रद्धालु इस मंदिर में उमड़ते हैं. चाहे नवरात्रि का पर्व हो या कोई और धार्मिक अवसर, यह मंदिर सदियों से लोगों के विश्वास और भक्ति का केंद्र बना हुआ है.
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से Bharat.one हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें