Deference between Sparkling Soda and carbonated water: पानी हमारी जिंदगी है. पानी के बिना जीवन की कल्पना भी मुश्किल है. पानी कई तरह के होते हैं. कुदरती पानी में भी कुछ चीजें मिला दिया जाता है. यह स्पार्कलिंग, कार्बोनेटेड और सोडा वाटर भी हो सकता है. लेकिन असल बात यह है कि स्पार्कलिंग, कार्बोनेटेड और सोडा वाटर में अंतर क्या होता है. क्या इस पानी को पीने से वजन कम होता है. आइए इसके बारे में जानते हैं.
स्पार्कलिंग वाटर

स्पार्कलिंग वटर के फायदे
स्पार्कलिंग वाटर में कार्बनडायऑक्साइड के रुप में बुलबुले भरे रहते है जिसके कारण यह पेट भरा हुआ महसूस कराता है. इसलिए लोग अनाप-शनाप खाने से परहेज करेंगे. यह एक ताज़गी भरा और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प बनता है.ज्यादातर स्पार्कलिंग वॉटर में कैलोरी नहीं होती और न ही इसमें शक्कर मिलाई जाती है. इसमें पाए जाने वाले प्राकृतिक खनिज दैनिक खनिज सेवन में सहायक हो सकते हैं.कुछ लोगों के लिए इसमें मौजूद कार्बोनेशन पाचन में मदद कर सकता है और पेट की गैस कम कर सकता है. स्पार्कलिंग वॉटर को वैसे ही पीया जा सकता है. इसके साथ ही यह फ्रूट्स के साथ फ्लेवर मिलाकर, या कॉकटेल और मॉकटेल में मिक्सर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
सोडा वाटर
साधारण पानी में जब कार्बन डाइऑक्साइड और सोडियम बाइकार्बोनेट या अन्य खनिज मिलाया जाता है तो यह सोडा वाटर बन जाता है. इसे क्लब सोडा भी कहा जाता है. इसमें हल्का नमकीन या तीखा स्वाद होता है, जो इसे मिश्रित पेय (कॉकटेल आदि) के लिए उपयुक्त बनाता है. इसमें मिनरल सामग्री कृत्रिम होती है. खास स्वाद की वजह से अक्सर ड्रिंक्स में इस्तेमाल होता है. सोडा को सॉफ्ट ड्रिंक भी कहा जाता है. इसमें हाई-फ्रक्टोज़ कॉर्न सिरप या कृत्रिम स्वीटनर से मीठा किया जाता है. इसके स्वाद कोला से लेकर सिट्रस और रूट बीयर तक अलग-अलग होते हैं और इसमें अक्सर एडिटिव्स और रंग भी मिलाए जाते हैं. जितने भी सॉफ्ट ड्रिक्स होते हैं सब में आमतौर पर चीनी, हाई-फ्रक्टोज़ कॉर्न सिरप या कृत्रिम स्वीटनर से मीठा किया जाता है. इसके स्वाद कोला से लेकर सिट्रस और रूट बीयर तक अलग-अलग होते हैं, और इसमें अक्सर एडिटिव्स और रंग भी मिलाए जाते हैं.

सेहत के लिए नुकसानदेह
सोडा या सॉफ्ट ड्रिंक में चीनी की मात्रा अधिक होती है. इसके नियमित सेवन से मोटापा, डायबिटीज़ और दांतों की समस्याएं हो सकती हैं. कुछ सोडा में कृत्रिम फ्लेवर और प्रिज़र्वेटिव्स होते हैं. इसमें पोषण बहुत कम या बिल्कुल नहीं मिलता. सोडा को अक्सर एक मीठे पेय के रूप में या कॉकटेल में मिलाकर पिया जाता है लेकिन इसकी शक्कर और कैलोरी की अधिकता के कारण इसे सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए.
कार्बोनेटेड वाटर
स्पार्कलिंक और सोडा दोनों को कार्बोनेटेड वाटर कहा जाता है. लेकिन इनमें मिले अलग-अलग खनिज के कारण इसका स्वाद, रंग और रुप अलग-अलग हो सकता है. कार्बोनेटेड वाटर अक्सर बिना किसी मिनरल, स्वाद या अतिरिक्त पदार्थ के भी मिलता है. इसे ‘सेल्टज़र’ भी कहा जाता है. इन तीनों में सबसे बड़ा अंतर खनिज की मात्रा और स्वाद में आता है. बाकी सभी में बुलबुले यानी फिज़ एक जैसा होते हैं. कार्बोनेटेड पेय प्यास बुझाने और पेय में झागदार स्वाद जोड़ने के लिए लोकप्रिय विकल्प हैं, लेकिन सभी एक जैसे नहीं होते. स्पार्कलिंग वॉटर, सोडा और सेल्टज़र वॉटर सबसे ज़्यादा पीए जाने वाले पेय हैं, लेकिन ये संरचना, स्वाद और स्वास्थ्य पर प्रभाव के लिहाज़ से काफी अलग होते हैं.

क्या इसे पीने से वजन घटता है
स्पार्कलिंक वाटर में सिर्फ कार्बन डायऑक्साइड मिलाय जाता है. इसलिए इसे पीने के बाद लोगों को भूख कम लगती है. इसलिए लोग कम खाते हैं. जाहिर है कम खाने से वजन बढ़ने के चांस कम हो जाता है. लेकिन इस संबंध में कोई रिसर्च नहीं है कि स्पार्कलिंग वाटर पीने से वजन कम होता है. बाकी सोडा पीने से बहुत हानि है. इससे मोटापा बढ़ सकता है. इसलिए जब इन दोनों विकल्पों को सेहत के लिए करें तो पहले डॉक्टर से सलाह ले लें.
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