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गढ़ाकोटा का अनूठा मंदिर, जहां भगवान विष्णु – माता लक्ष्मी और गरुड़ साथ हैं, और सुरंग का इतिहास


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Sharad Purnima Bundelkhand: बुंदेलखंड में शरद पूर्णिमा को खास आस्था के साथ मनाया जाता है, जहां चंद्रमा की किरणों से अमृतमयी खीर बनाकर बांटी जाती है. सागर के गढ़ाकोटा में 300 साल पुराना लक्ष्मी नारायण मंदिर है.

बुंदेलखंड. बुंदेलखंड में शरद पूर्णिमा का पर्व हमेशा से ही आस्था और परंपरा का संगम रहा है. लोकमान्यता है कि इस दिन साल का सबसे अधिक उज्वल चांद निकलता है, जो अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी किरणों से अमृत बरसता है. इसी आस्था के कारण सागर और आसपास के गांवों में लोग खीर बनाकर रातभर खुले आकाश तले रखते हैं. इस रात चंद्र, पृथ्वी के सबसे पास आता है. इस रात उसकी किरणों में औषधीय गुण होते हैं. सुबह वह अमृतमयी खीर परिवार के सभी सदस्यों को बांटी जाती है. इस साल दो दिन शरद पूर्णिमा मनाई जा रही है.

भगवान की अनूठी प्रतिमा
हालांकि शरद पूर्णिमा केवल खीर तक सीमित नहीं रहती है, इस दिन सागर सहित बुंदेलखंड में मावा की लड्डुओं की स्पेशल पूजा की जाती है. इससे जुड़ी कथाएं सुनाई जाती हैं मंदिरों में पूजन पाठ किया जाता है ऐसा ही एक 300 साल पुराना मंदिर सागर जिले के गढ़ाकोटा में है लक्ष्मी नारायण के इस मंदिर में भगवान की अनूठी प्रतिमा है, जो एक ही पत्थर से बनी हुई है और इसमें भगवान गरुड़, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी एक साथ हैं. शरद पूर्णिमा की रात चंद्र देव की पहली किरण सीधे मंदिर के शिखर से होते हुए गर्भ ग्रह में प्रवेश कर भगवान के श्री चरणों को छूती हैं. यहां शरद पूर्णिमा पर विशेष पूजन किया जाता है और भगवान सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं यहां पर दूध और चावल से बनी खीर को भगवान के चरणों में ही रखा जाता है और यहीं पर सीधे चंद्रमा की रोशनी जाकर खीर पर गिरती है इस अमृतमई खीर के जैसा माना जाता है और इसी का वितरण होता है.

मंदिर की पुजारी पंडित जितेश मिश्रा बताते हैं की नगर में एक जैसी तीन प्रतिमाएं हैं जो पहले गढ़ाकोटा के किले में हुआ करती थी, लेकिन राजा मर्दन सिंह जूदेव के समय तिलक वार्ड में रमाबाई मिश्रा ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. इसलिए इसे मिश्रयन का मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर से किला में आने जाने के लिए पहले सुरंग भी हुआ करती थी कहा जाता है, जिससे राजा रानी यहां दर्शन के लिए आया करते थे या मुसीबत के समय यह किले से बाहर निकलने का गोपनीय रास्ता भी था जिसे आजादी के बाद बंद कर दिया गया. इस मंदिर के शिखर की ऐसी बनाबट है की चंद्रमा की रोशनी सीधे भगवान के चरणों में आती है.

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Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a… और पढ़ें

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गढ़ाकोटा का अनूठा मंदिर, जहां भगवान विष्णु – माता लक्ष्मी और गरुड़ हैं साथ

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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