Sunday, October 19, 2025
27 C
Surat

Diwali is not celebrated in these areas of Uttar Pradesh | दिवाली पर इस गांव में नहीं जलाया जाता एक भी दीपक, पूरी रात रखते हैं अंधेरा


Last Updated:

Diwali 2025: एक तरह कार्तिक अमावस्या को पूरे देश में दिवाली का पर्व मनाया जाता है, वहीं उत्तर प्रदेश के एक गांव में सन्नाटा पसरा रहता है. यहां दिवाली के दिन ना तो एक दीपक जलाते हैं और ना ही कोई रंगोली बनती है. आइए जानते हैं ऐसा यह क्यों करते हैं…

ख़बरें फटाफट

दिवाली पर इस गांव में नहीं जलाया जाता एक भी दीपक, पूरी रात रखते हैं अंधेरा

जब पूरे देश में दीपावली की जगमगाहट फैली होती है, लोग नए कपड़े पहनकर पटाखे फोड़ते हैं, तब उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के कुछ गांवों में सन्नाटा पसरा होता है. इन गांवों में ना रंगोली बनती है, ना दिये जलते हैं और ना ही कोई उत्सव होता है. यहां के लोग इस दिन दीवाली नहीं, बल्कि शोक मनाते हैं. जी हां, राजगढ़ क्षेत्र के भांवा, अटारी और आसपास के कई गांवों में रहने वाले चौहान वंश के क्षत्रिय परिवार दीपावली के दिन कोई जश्न नहीं मनाते.

इसलिए नहीं मनाते हैं दिवाली
चौहान वंश के क्षत्रिय परिवार लोगों का मानना है कि इसी दिन मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान की हत्या की थी. पृथ्वीराज चौहान को ये लोग अपने पूर्वज और महान योद्धा मानते हैं. इसलिए इस दिन को खुशियों के बजाय गहरे शोक और सम्मान के रूप में मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग याद में मातम मनाते हैं, जिसकी वजह से ना तो प्रकाश पर्व मनाते हैं और ना ही दिवाली का पर्व. इन गांवों में दीपावली की रात घर अंधेरे में रहते हैं, कोई बिजली की लाइट या तेल का दीया नहीं जलाता. पूजा-पाठ जरूर होती है. एक दीया जलाकर लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है, लेकिन फिर उस दीये को बुझा दिया जाता है और परिवार के लोग चुपचाप दिन गुजारते हैं.

सदियों से चली आ रही है परंपरा
इन गांवों में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. ये लोग अपने वीर राजा की शहादत वाले दिन कोई उत्सव नहीं मनाते. हालांकि, दीपावली की पूरी खुशी ये लोग त्यौहार के 4-5 दिन बाद एकादशी के दिन मनाते हैं. उस दिन इनके घरों में दीये जलते हैं, मिठाइयां बनती हैं और सभी मिलकर खुशियां बांटते हैं, इसे ये लोग अपनी दीपावली कहते हैं. इस अलग-सी परंपरा ने इन गांवों को बाकियों से बिल्कुल अलग बना दिया है. जहां एक ओर बाकी देश रोशनी और रंगों में डूबा होता है, वहीं यहां के लोग शौर्य, बलिदान और इतिहास को याद करते हैं. यह परंपरा ना सिर्फ श्रद्धांजलि, बल्कि भावी पीढ़ी को अपने इतिहास से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम भी है.

पांच दिन का दिवाली पर्व
बता दें कि दिवाली का पर्व पांच दिन मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज को होता है. पांच दिन के पर्व में कार्तिक अमावस्या को गणेश-लक्ष्मी पूजन किया जाता है और यह मुख्य पर्व होता है. इस बार दिवाली का पर्व 20 अक्टूबर, गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर और भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा. दिवाली महापर्व में दोस्तों और प्रियजनों के यहां मिठाइयां बाटते हैं और दिवाली की शुभकामनाएं देते हैं.

authorimg

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

दिवाली पर इस गांव में नहीं जलाया जाता एक भी दीपक, पूरी रात रखते हैं अंधेरा


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/dharm/diwali-is-not-celebrated-in-these-areas-of-uttar-pradesh-ws-kln-9755080.html

Hot this week

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img